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Gorakhpur News: विकास प्राधिकरण के नाक के नीचे उर्वरक जमीनों के प्लाटिंग का खेल शुरू

गोरखपुर के विकास में गोरखपुर विकास प्राधिकरण का एक अहम योगदान माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से गोरखपुर परिक्षेत्र में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाली उर्वरक जमीनों की अवैध प्लाटिंग भूमि माफियाओं के द्वारा की जा रही है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Gorakhpur News: विकास प्राधिकरण के नाक के नीचे उर्वरक जमीनों के प्लाटिंग का खेल शुरू

गोरखपुर के विकास में गोरखपुर विकास प्राधिकरण का एक अहम योगदान माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से गोरखपुर परिक्षेत्र में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाली उर्वरक जमीनों की अवैध प्लाटिंग भूमि माफियाओं के द्वारा की जा रही है।

पर इस पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण की नजर नहीं जा रही है। आपको बता दें कि लखनऊ गोरखपुर बायपास, गोरखपुर देवरिया बाईपास, गोरखपुर सोनौली बाईपास और गोरखपुर वाराणसी बाईपास पर तमाम ऐसी उर्वरक जमीन है जिनको होने औने-पौने दामों में भूमि माफिया खरीद लिया है।

अब माफिया उनकी प्लाटिंग करके बेच रहे हैं लेकिन गोरखपुर विकास प्राधिकरण इस विषय में कोई जानकारी देने में सक्षम नजर नहीं आ रहा है। गोरखपुर की अधिकतर जमीन गरीब काश्तकारों की हैं। जिनको कम दामों पर भूमि माफिया ने खरीद कर, बड़ी रकम वसूलते हुए बेच दे रहे हैं।

इतना सब होने के बावजूद उनका कोई भी लेखा-जोखा गोरखपुर विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। इस विषय में जब यूपी की बात की टीम ने गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आनंदवर्धन से बात की तो उन्होंने कहा कि ये कुछ ऐसे फर्म है जिनका ले-आउट जमा है। लेकिन तमाम ऐसे फर्म भी हैं जिनका ले-आउट अब तक गोरखपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर में नहीं जमा है।

गोरखपुर में भूमि माफिया जो मालामाल हो रहे हैं, उनके पास कहीं ना कहीं से ऐसी जानकारी है जिससे वे वहां को मूल्य को पहले ही जान ले रहे हैं और गरीब असहाय लोगों से डर का माहौल बना कर जमीन अपने कब्जे में ले ले रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे बाबू है जिनके नाक के नीचे यह सब चल रहा है और वे इसके बदले मोटी रकम उन भूमि माफियाओं से वसूल रहे हैं।

गौरतलब है कि जीडीए के मानक के अनुसार कोई भी प्राइवेट कॉलोनी और प्लाटिंग बिना जीडीए के अनुमति के संभव नहीं है। पर इसके बावजूद बिना अनुमति के ऐसे तमाम प्राइवेट कंपनियां हैं जो गोरखपुर परिक्षेत्र में उर्वरक जमीनों को टारगेट पर लेकर उनको कम दाम में खरीदते हैं और मोटे रकम वसूलते हुए आम लोगों से बेचते हैं। फिर वहीं यहां पर ऐसा एक समय भी आता है कि जीडीए उन जमीनों पर नियम और कानून के अनुसार मकान बनवाने की बात करता है तो उस समय आम जनमानस कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते हुए नजर आने लगते हैं।

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