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Banda News: जिला अस्पताल में खुलेआम चल रहा बाहर की दवाइयों के लिखने का खेल

उत्तर प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में मीडिया माफिया हावी हैं। बात करें बांदा जिले की तो यहां आये दिन जिला अस्पताल में डॉक्टर्स मरीजों और उनके परिवार वालों को बाहर की दवाएं लिखने में देरी नहीं करते हैं।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Banda News: जिला अस्पताल में खुलेआम चल रहा बाहर की दवाइयों के लिखने का खेल

उत्तर प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में मीडिया माफिया हावी हैं। बात करें बांदा जिले की तो यहां आये दिन जिला अस्पताल में डॉक्टर्स मरीजों और उनके परिवार वालों को बाहर की दवाएं लिखने में देरी नहीं करते हैं। जब इस बात की रियलिटी चेक करने यूपी की बात की टीम जिला अस्पताल पहुंची और जहां मरीजों और उनके तीमारदारों से बातचीत की तब अस्पताल के डॉक्टर्स की पोल खुलकर सामने आ गई।

कई अस्पतालों में मीडिया माफिया का राज

उत्तर प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में मीडिया माफिया हावी हैं। डॉक्टर गरीब मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं बांदा जिला अस्पताल के भी यही हाल हैं। जब यूपी की बात की टीम जिला अस्पताल पहुंची और यहां मौजूद मरीज और तीमारदारों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। डॉक्टर के असिस्टेंट दो तरह की पर्चियां बना रहे हैं। एक में अस्पताल के अंदर मिलने वाली दवा और दूसरी बाहर से लेने वाली दवा लिखी जाती है।

तीमारदारों ने बताया कि अपने मरीज को ठीक करने के लिए मजबूरी में हमें मंहगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। वहीं एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि पूरी की पूरी दवा ही बाहर से लिख दी है।

योगी सरकार का है स्पष्ट निर्देश, कोई भी दवा बाहर की न हो

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के साफ निर्देश हैं कि कोई भी दवा बाहर के लिए न लिखी जाए। बाबजूद इसके जिला अस्पताल में लगातार बाहर के मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदने के लिए लिखी जा रही है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में मीडिया माफिया हावी हैं। बात करें बांदा जिले की तो यहां आये दिन जिला अस्पताल में डॉक्टर्स मरीजों और उनके तीमारदारों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। जब इस बात की रियलिटी चेक करने यूपी की बात की टीम जिला अस्पताल पहुंची और जहां मरीजों और उनके तीमारदारों से बातचीत की। अस्पताल के डॉक्टर्स की पोल खुल गई।

ऐसे में ये तो स्पष्ट है कि सीएम योगी के लाख प्रयासों के बाद भी सरकारी अस्पतालों में किस तरह से मेडिकल माफिया हावी हैं। सोचने वाली बात यह है कि जिन लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है वो किस तरह से बाहर की महंगी दवाइंया खरीद पाएंगे या खरीदते होंगे।

जिसपर स्वास्थ्य विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है। इससे गरीब मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब तक इस पर प्रभावी कार्यवाही इन लोगों पर होगी ताकि आम लोगों को सभी दवाएं अस्पताल से ही मिल सकें।

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