यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ भारी बारिश की वजह से बाढ़ की आशंकाओं को देखते हुए सभी विभागों को 24 घंटे और सातों दिन अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी के निर्देश के बाद भी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की गैरजिम्मेदाराना रवैये से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जिसकी वजह से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
आपको बता दें कि हरियाणा के ताजेवाला बैराज से 3 लाख क्यूसेक पानी ओखला से होते हुए आगरा आएगा। जब यह पानी आगरा पहुंचेगा तो यहां का मंजर बड़ा ही खौफनाक होगा। क्योंकि अभी से ही यमुना उफान पर है। यमुना किनारे रहने वाले लोग परेशान हैं। उनकी फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। पानी यमुना इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि किनारे पर बंधे पशु अचानक पानी में डूब गए। पशुपालक ने अपनी जान पर खेलकर पशुओं को पानी से बाहर निकाला।
यूपी की बात की टीम जब यहां रहने वाले लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रशासन और सिंचाई विभाग की तरफ से किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। स्थानीय लोगों का गुस्सा सिंचाई विभाग और प्रशासन के खिलाफ साफ जाहिर हो रहा है। यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें न तो बाढ़ खतरे से आगाह किया गया है, और ना ही उनकी मदद के लिए किसी तरह के इंतजाम नजर आ रहे हैं। बल्कि खानापूर्ति के लिए एक कर्मचारी की नाव पर ड्यूटी लगाई गई थी।
जिस कर्मचारी की ड्यूटी नाव पर लगाई गई है, वह भी असहाय नजर आ रहा है। क्योंकि यमुना के उफान से उसकी नाव उसके कंट्रोल से बाहर हो गई और बीच नदी में फंस गई। वहां का मंजर इतना भयावह है कि बयां करना मुश्किल है। वहीं, सिंचाई विभाग कागजों में इन लोगों की मदद के दावे कर रहा है और जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। दयाल बाग़ इलाके के बहादुरपुर गांव समेत तटीय इलाकों में रहने वाले गांव के लोगों पर ख़तरा मंडरा रहा है और सिंचाई विभाग के अधिकारी लखनऊ में बैठे हुक्मरानों को खुश करने के लिए फ़ाइल पर फ़ाइल तैयार कर रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर राहत और बचाव कार्य कहीं नजर नही आ रहा है।
आगरा से संवाददाता सैयद सकील की रिपोर्ट।