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UP News: राहुल गांधी के हाथों से चर्चाओं में आई पॉकेट संविधान का सीधा कनेक्शन लखनऊ से, जानिए कैसे…

आम चुनाव प्रचार के दौरान, आपने राहुल गांधी के हाथ में प्रेस वार्ताओं और जन संबोधनों में संविधान की एक किताब लिए हुए देखी होगी। जिसका संबंध लखनऊ से सीधे है आइए जानते हैं कैसे...

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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UP News: राहुल गांधी के हाथों से चर्चाओं में आई पॉकेट संविधान का सीधा कनेक्शन लखनऊ से, जानिए कैसे…

आम चुनाव प्रचार के दौरान, आपने राहुल गांधी के हाथ में प्रेस वार्ताओं और जन संबोधनों में संविधान की एक किताब लिए हुए देखी होगी। जिसका संबंध लखनऊ से सीधे है आइए जानते हैं कैसे…

आम चुनाव 2024 में प्रचार के दौरान जिस एक शब्द का जिक्र सभी पार्टियों ने किया वह है संविधान। राहुल गांधी समेत पूरे इंडी गठबंधन ने संविधान को मुद्दा बनाते हुए कहा कि यदि मोदी सरकार 400 पार सीटों पर आई तो वह भारत के संविधान को बदल सकती है। जिसके संदर्भ में नतीजे आपके सामने हैं। वहीं संविधान बदलने की बात कहने के दौरान राहुल गांधी के हाथों में एक किताब लगातार रहती थी। फिर वे चाहे कहीं भी हो, यहां तक कि ससंद में शपथ लेने के दौरान भी। उनके हाथ में जो किताब दिखी वह पॉकेट संविधान है। जिसका संबंध लखनऊ से है।

लखनऊ में स्थित, ईस्टर्न बुक कंपनी (ईबीसी) द्वारा प्रकाशित चमड़े के कवर वाली संविधान की लाल किताब ने उस वक्त लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जब लोकसभा चुनाव प्रचार के समय विपक्ष के नेताओं खासकर राहुल गांधी ने रैलियों में इस पॉकेट संविधान को दिखाते हुए यह दावा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो वह संविधान में बदलाव करेगी।

प्रत्येक भारतीय के जेब में होनी चाहिए ये किताब

लालबाग स्थित ईस्टर्न बुक कंपनी के सेल्स अधिकारी सुधीर कुमार बताते हैं कि ईबीसी, संविधान के इस पॉकेट संस्करण का इकलौता प्रकाशक है। पिछले तीन महीनों में इसकी लगभग 5000 प्रतियां बिकी हैं। इसका पहला संस्करण साल 2009 में छापा गया था और तब से इसके 16 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इसकी प्रस्तावना पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लिखी है। आंखों में चमक लिए सुधीर कहते हैं कि यह सुंदर और गौरवशाली संविधान की किताब हर भारतीय की जेब में होनी चाहिए।

ईस्टर्न बुक ने कराया है आईपीआर

ईस्टर्न बुक कंपनी ने संविधान के इस पॉकेट संस्करण का बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित करा लिया है। जिसका मतलब है कि किताब के इस साइज, स्टाइल, कलर और फांट की नकल कोई और नहीं कर सकता है। सुधीर कहते हैं कि विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ज्यादातर आधिकारिक तौर पर अपनी कोट की जेब में संविधान का यह संस्करण रखते हैं। दुनिया भर के कई पुस्तकालयों में भी इसे रखा गया है। 624 पन्नों का संविधान का यह पॉकेट संस्करण ‘बाइबिल पेपर’ पर छपा हुआ है। पॉकेट साइज की बात करें तो इस संविधान बुक की लंबाई 20 सेमी और चौड़ाई 9 सेमी है।

क्या है ‘बाइबिल पेपर’

सुधीर बताते हैं कि 624 पन्नों की किताब को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और मानक से समझौता किए बगैर, पॉकेट में फिट होने लायक छपाई करना हमारे लिए चुनौती-पूर्ण थी। जिसके लिए कंपनी ने रिसर्च के बाद इसे बाइबिल पेपर पर छापा। इसकी खासियत यह है कि बहुत बारीक पन्नों को बावजूद यह मजबूत होता है। साथ ही दोतरफा प्रिंट में छपे हुए शब्द दूसरी तरफ से नहीं दिखते हैं। आठ लाख से ज्यादा शब्दों वाली बाइबिल जैसी मोटी किताब भी सर्वसुलभ बनाने के लिए इसी पेपर पर छपती है जाती है।

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