बलरामपुर ज़िले के तुलसीपुर नगर से सटे शितलापुर गांव में स्थित एक तालाब, जो कभी जल संरक्षण और सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से बलरामपुर फाउंडेशन द्वारा गोद लिया गया था, आज गंदगी और जलकुंभी का अड्डा बन चुका है। स्थानीय लोगों की नाराज़गी अब सार्वजनिक रूप से सामने आने लगी है।
CSR के नाम पर दिखावा? स्थानीय लोगों ने लगाए आरोप
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बलरामपुर फाउंडेशन, जो कि बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड का सामाजिक पहल (Social Initiative) है, ने तालाब को केवल कागजों पर गोद लिया है। उनका आरोप है कि कंपनी CSR फंड के जरिए टैक्स में छूट तो ले रही है, लेकिन ज़मीन पर कोई काम नहीं हो रहा।
वर्षा जल संरक्षण और सौंदर्यीकरण का था वादा
जब बलरामपुर फाउंडेशन ने इस तालाब को गोद लिया था, तो दावा किया गया था कि तालाब को जल संरक्षण के लिए विकसित किया जाएगा। साथ ही इसके सौंदर्यीकरण और संरक्षण की जिम्मेदारी भी संस्था ने ली थी। लेकिन कई साल बीतने के बाद भी तालाब की सूरत नहीं बदल सकी।
तालाब बना जलकुंभी और गंदगी का घर
वर्तमान में तालाब पूरी तरह जलकुंभी से भर चुका है। आसपास की गंदगी ने इसे स्थानीय निवासियों के लिए खतरा बना दिया है। न तो इसके चारों ओर सफाई की गई है, न ही इसके जलस्तर को सुधारने के लिए कोई प्रयास किया गया है।
सरकार भी असहाय, गोद लेने के कारण नहीं करवा पा रही हस्तक्षेप
चूंकि तालाब को निजी संस्था द्वारा गोद लिया गया है, इसलिए सरकारी एजेंसियां भी इसके विकास में हस्तक्षेप नहीं कर पा रही हैं। यह स्थिति और गंभीर हो गई है क्योंकि ग्रामीणों के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।
जवाब मांगने पर HR ने साधी चुप्पी
जब इस मामले में बलरामपुर चीनी मिल्स (BCM) के HR प्रमुख आशीष सिंह से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया है।