आगरा के चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल(55) की 27 अक्टूबर को पटना के बाकरगंज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अग्रवाल का बिहार में चांदी की पायल का बड़ा काम है। थाना पीर में उनकी फर्म का पटना के बाकरगंज में कार्यालय है।
पुरानी रंजिश और अवधेश अग्रवाल का इतिहास
मूल रूप से नामनेर में शिवलेश्वर मंदिर के पास रहने वाले अवधेश अग्रवाल की प्रारंभ में परचूनी की दुकान थी। नब्बे के दशक में अवधेश ने चांदी कारोबार में कदम रखा। फिर अवधेश अग्रवाल का प्रदीप जैन के खास लोगों में गिनती होने लगी थी। प्रदीप जैन ने उन्हें बिहार की सीबी चेंस की डिस्ट्रीब्यूटरशिप 1996 से दे रखी थी। चांदी कारोबारी हत्याकांड में पकड़े गए निखिल अग्रवाल के पिता हरिबाबू मृतक अवधेश अग्रवाल को अच्छे से जानते थे। पटना पुलिस को पता चला है कि प्रदीप जैन उर्फ बब्बे के समय से दोनों की आपस में पहचान थी। पर बड़े भाई बब्बे की हत्या के बाद छोटे भाई धन कुमार जैन ने कमान संभाली और उन्होंने 2014 में हरिबाबू को सीबी चेंस की डिस्ट्रीब्यूटरशिप अवधेश से छीन कर दे दिया।
ऐसे में वर्ष 2014 में धन कुमार के एजेंसी वापस लेने पर दोनों के संबंधों में खटास आ गई थी। एमएम गेट थाने में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने जानलेवा हमले के मुकदमे में अवधेश अग्रवाल को आपराधिक षड़यंत्र और समान आशय का आरोपित बनाया था। एमएम गेट थाने में अवधेश अग्रवाल के विरुद्ध एक और मुकदमा चौथ मांगने का लिखा गया था। पुलिस ने इस मुकदमे में तीन बार फाइनल रिपोर्ट (एफआर) भेजी थी। जानलेवा हमले के मुकदमे के आधार पर पुलिस ने सराफा कारोबारी के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी।
वहीं धन कुमार जैन पर 2015 में हुए हमले में भी अवधेश अग्रवाल का नाम सामने आया था। ऐसे में उन्हें गैंगस्टर एक्ट के तहत भी गिरफ्तार किया गया था और उन्हें जेल भेजा गया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने 2022 में उन्हें बरी कर दिया था।
फर्जी खुलासे में फंसे पुलिसवाले
धन कुमार जैन पर हुए हमले के मामले में पुलिस पहली बार खुलासा कर फंस गई थी। 24 नवंबर 2015 को खुलासा किया था कि प्रापर्टी डीलर योगेश ने चौ ने वसूली के लिए हमला कराया था। तब पुलिस ने योगेश सहित दो को जेल भेजा था। इस खुलासे से पुलिस की खूब किरकिरी हुई थी। पहली बार हुआ था कि हमले में इस्तेमाल पिस्टल की फोटो दिखाई गई थी। बाद में दूसरा खुलासा हुआ था। इस बार पुलिस ने दवा किया कि हमला धन्नू के दिवंगत भाई प्रदीप जैन उर्फ बब्बे के साले विशाल अग्रवाल ने कराया था। इसमें अवधेश भी शामिल था जिसके बाद पुलिस ने इन दोनों और एक शूटर समेत कुल चार लोग गिरफ्तार किए हैं।
धन कुमार जैन उर्फ धन्नू के बारे में
धन कुमार जैन 22 नवंबर 2015 की रात अपनी फर्म सीसी चेंस से लौट रहे थे। व्यस्त फुलट्टी बाजार में उनके घर के सामने कार से उतरते समय बाइक सवार दो शूटरों ने गोली मार दी थी। हमलावर सीसीटीवी फुटेज में आए थे। पुलिस ने वारदात के दो पर्दाफाश किए थे। पहला पर्दाफाश पुलिस ने खुद फर्जी माना था। दूसरे में पुलिस ने धन कुमार जैन के बड़े भाई बब्बे प्रदीप जैन उर्फ बब्बे के साले विशाल अग्रवाल समेत आधा दर्जन लोगों को जेल भेजा था। पुलिस ने पर्दाफाश किया था कि पारस गैंग को धन कुमार की सुपारी दी गई थी। विशाल अग्रवाल को 30 लाख रुपए देने के लिए फाइनेंस किया गया था।
प्रदीप जैन उर्फ बब्बे कौन था?
बब्बे आगरा में चांदी का एक बड़ा व्यपारी था, परंतु सूत्रों की माने तो बब्बे के बारे में ऐसा माना जाता है कि वह दाउद इब्राहिम से चांदी का व्यापार भी करता था। पर दाउद के चांदी के पैसे खाने के बाद बब्बे को दाउद ने मौत के घाट उतार दिया था। जिसका शव नहर में मिला था। फिलहाल, इस बात पर परिवार के लोगों का मानना अलग है। उनका कहना है कि उनकी मौत अपने पर ध्यान न रखने के कारण हुई है, इसका कोई जिम्मेदार नहीं है।
पुलिस ने अवधेश हत्याकांड में किसे गिरफ्तार किया है
अवधेश हत्याकांड के संदर्भ में बिहार पुलिस को मामले की छानबीन में कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। मामले की जांच के लिए पटना पुलिस की टीम मथुरा के गोविंदनगर पहुंची, जहां से उन्होंने चांदी कारोबारी हरिबाबू के बेटे निखिल अग्रवाल और उनके ड्राइवर जितेंद्र को गिरफ्तार किया है। अब आइए आपको बताते हैं कि पुलिस ने प्रे कॉन्फ्रेंस में क्या कहा है उन्हें कौन से सुराग मिले हैं।
अवधेश के हत्याकांड की छानबीन में पुलिस को कौन से सुराग प्राप्त हुए
पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि, हत्याकांड में दो शूटर और एक एक्सयूवी 500 गाड़ी के बारे में जानकारी दी है। पुलिस ने कहा कि सीसीटीवी के आधार पर पटना के बड़े चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल की हत्या मथुरा के शूटर भूषण पंडित और बृज गौतम ने की थी। इन दोनों शूटर्स को मथुरा का जितेंद्र गाड़ी से पटना लेकर पहुंचा था। जितेंद्र मथुरा के जैत थाना क्षेत्र का निवासी है और आगरा की सीबी चेंस के पटना स्थित डीलर मथुरा निवासी हरी बाबू अग्रवाल का ड्राइवर है।
पुलिस ने आगे बताया कि भूषण पंडित पर हत्या समेत 8 मामले पहले से ही दर्ज हैं जबकि बृज गौतम पर 12 मुकदमे यूपी में हैं। इनमें गुंडा एक्ट के अलावा आर्म्स एक्ट के कैस भी हैं। पटना पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस के निरंतर संपर्क में रहकर इन अपराधियों की तलाश कर रही है।
फिर मथुरा में दबिश देकर निखिल अग्रवाल को गिरफ्तार किया क्योंकि पुलिस को यह विश्वास है कि वह घटना वाले वाहन से वह संबंधित हो सकता है। इसी बीच पुलिस ने जितेंद्र(ड्राइवर) को भी उसके गांव वाटी से गिरफ्तार कर लिया है।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
जांच में यह खुलासा हुआ कि पकड़े गए निखिल अग्रवाल के पिता हरिबाबू और मृतक अवधेश अग्रवाल पुराने परिचित थे। उनकी दोस्ती प्रदीप जैन उर्फ बब्बे के समय से थी। बब्बे ने अवधेश को पटना में सीबी चेन का डिस्ट्रीब्यूटर बनाया था, लेकिन बब्बे की 2005 में हत्या के बाद इस भूमिका को हरिबाबू को दिया गया था।
हत्याकांड के संदिग्धों की पहचान
पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि shootout में मथुरा के भूषण पंडित और बृज गौतम शामिल थे। इन दोनों शूटर्स को जितेंद्र ने मथुरा से पटना ले जाकर एसयूवी 500 से पहुंचाया था। अवधेश अग्रवाल की हत्या के बाद, इन्हीं के जरिए बदमाशों को वापिस मथुरा लाया गया।
इस घटना के बाद बिहार पुलिस को मामले की छानबीन में कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। मामले की जांच के लिए पटना पुलिस की टीम मथुरा के गोविंदनगर पहुंची, जहां से उन्होंने चांदी कारोबारी हरिबाबू के बेटे निखिल अग्रवाल और उनके ड्राइवर जितेंद्र को गिरफ्तार किया है। अब आइए आपको अवधेश के इतिहास में लेकर चलते हैं और बताते हैं कि वह कैसे प्रदीप जैन से मिला और उसकी हत्या किन दो लोगों ने की…
पहले ये जानते हैं कि अवधेश के हत्याकांड की छानबीन में पुलिस को कौन से सुराग प्राप्त हुए
पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि, हत्याकांड में दो शूटर और एक एक्सयूवी 500 गाड़ी के बारे में जानकारी दी है। पुलिस ने कहा कि सीसीटीवी के आधार पर पटना के बड़े चांदी कारोबारी अवधेश अग्रवाल की हत्या मथुरा के शूटर भूषण पंडित और बृज गौतम ने की थी। इन दोनों शूटर्स को मथुरा का जितेंद्र गाड़ी से पटना लेकर पहुंचा था। जितेंद्र मथुरा के जैत थाना क्षेत्र का निवासी है और आगरा की सीबी चेंस के पटना स्थित डीलर मथुरा निवासी हरी बाबू अग्रवाल का ड्राइवर है।
पुलिस ने आगे बताया कि भूषण पंडित पर हत्या समेत 8 मामले पहले से ही दर्ज हैं जबकि बृज गौतम पर 12 मुकदमे यूपी में हैं। इनमें गुंडा एक्ट के अलावा आर्म्स एक्ट के कैस भी हैं। पटना पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस के निरंतर संपर्क में रहकर इन अपराधियों की तलाश कर रही है।
फिर मथुरा में दबिश देकर निखिल अग्रवाल को गिरफ्तार किया क्योंकि पुलिस को यह विश्वास है कि वह घटना वाले वाहन से वह संबंधित हो सकता है। इसी बीच पुलिस ने जितेंद्र(ड्राइवर) को भी उसके गांव वाटी से गिरफ्तार कर लिया है।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
जांच में यह खुलासा हुआ कि पकड़े गए निखिल अग्रवाल के पिता हरिबाबू और मृतक अवधेश अग्रवाल पुराने परिचित थे। उनकी दोस्ती प्रदीप जैन उर्फ बब्बे के समय से थी। बब्बे ने अवधेश को पटना में सीबी चेन का डिस्ट्रीब्यूटर बनाया था, लेकिन बब्बे की 2005 में हत्या के बाद इस भूमिका को हरिबाबू को दिया गया था।
हत्याकांड के संदिग्धों की पहचान
पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि shootout में मथुरा के भूषण पंडित और बृज गौतम शामिल थे। इन दोनों शूटर्स को जितेंद्र ने मथुरा से पटना ले जाकर एसयूवी 500 से पहुंचाया था। अवधेश अग्रवाल की हत्या के बाद, इन्हीं के जरिए बदमाशों को वापिस मथुरा लाया गया।
अब अवधेश में पटना पुलिस की जांच के बारे में जानते हैं
पटना पुलिस फिलहाल अभी भी हत्या की वजह और संभावित साजिशकर्ताओं का पता लगा रही है। उम्मीद है कि निखिल अग्रवाल की गिरफ्तारी से पूरे मामले की परतें खुलेंगी और इसी के साथ खबर भी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचेगी पर अभी पुलिस के रिपोर्ट के आने से पहले कुछ कहना गलत होगा।
निष्कर्ष
अवधेश अग्रवाल की हत्या अब भी कई रहस्यों से घिरी हुई है। पटना पुलिस अपनी जांच जारी रखते हुए जल्द ही इस सनसनीखेज मामले की पूरी कहानी सामने लाने का प्रयास कर रही है। इस मामले में कई अन्य संदिग्ध भी हो सकते हैं, जिनकी जांच जारी है।