लखनऊ के लोक भवन में संविधान दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संविधान की उद्देशिका के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संविधान में ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द शुरू में शामिल नहीं थे, बल्कि इन्हें बाद में संविधान के भीतर अपातकाल के दौरान चुपके से जोड़ा गया।
संविधान: देश की एकता का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान 140 करोड़ भारतीयों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण दस्तावेज है और यह देश की एकता और अखंडता का आधार है। उन्होंने संविधान की भूमिका को सभी नागरिकों को समान अधिकार देने वाली बताते हुए इसकी सराहना की।
संविधान सभा का गठन और उसका महत्व
सीएम योगी ने बताया कि भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था, लेकिन संविधान सभा का गठन 1946 में ही कैबिनेट मिशन की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इसकी पहली बैठक 11 दिसंबर 1946 को हुई थी, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष चुना गया। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
संविधान के अमृत वर्ष की चर्चा
मुख्यमंत्री ने 2024 वर्ष को संविधान के लागू होने का अमृत वर्ष बताया और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करना बाबा साहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संविधान जागरूकता अभियान: पूरे साल होगा आयोजन
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पूरे वर्ष संविधान जागरूकता पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य नागरिकों को संविधान की जानकारी प्रदान करना और उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है।