Jhansi LS Election 2024: आम चुनाव 2024 के अंतर्गत झांसी-ललितपुर संसदीय सीट से इस बार कोई भी महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान पर नहीं हैं। पर आपको बता दें कि लंबे समय तक झांसी संसदीय क्षेत्र का बागडोर महिला शक्ति के हाथों में रही थी। उल्लेखनीय है कि 4 बार चुनावी मैदान पर इस सीट से जीत दर्ज करके, महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर सुशीला नैयर ने झांसी संसदीय सीट का नेतृत्व किया था।
फिर 2014 में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को भी इस संसदीय सीट से जीत मिली थी। कुल मिलाकर कहा जाए तो अब तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें 5 बार नारी शक्ति ने यहां से जीत के परचम को फहराया है। वहीं, इस बार आम चुनाव 2024 में कोई भी महिला प्रत्याशी यहां से चुनावी मैदान पर नहीं है। हाँ, एक महिला ने यहां से नामांकन पत्र भरा था पर नामांकन पत्र रद्द हो गया।
1952 में पहली बार आम चुनाव
1952 में देश में पहली बार चुनाव हुआ। तब झांसी संसदीय सीट से 7 प्रत्याशी मैदान पर थे पर यहां से कोई महिला प्रत्याशी नहीं थी। बता दें कि आचार्य रघुनाथ विनायक धुलेकर झांसी के पहले सांसद थे। इसके बाद 1957 में दूसरा लोकसभा चुनाव का आयोजन हुआ। तब कांग्रेस पार्टी ने महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर सुशीला नैयर को झांसी से टिकट दिया था। यहां से वो भारी बहुमत से जीत हासिल कर पहली महिला सांसद बन बनी।
इसके बाद 1962 और 1967 का चुनाव भी इन्हीं के झोले में गया। हालांकि 1971 में उनको हार का सामना करना पड़ा। तब गोविंद दास रिछारिया चुनाव जीते थे और नैयर दूसरे नंबर पर रही थी। अगले ही आम चुनाव 1977 में नैयर ने भारतीय लोकदल की टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1980 और 1984 में उनको हार का मुख देखना पड़ा था और इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। फिर 37 साल बाद उमा भारती ने यहां से 2014 में चुनाव जीता।
37 साल बाद महिला ने जीता चुनाव
सुशील नैयर के राजनीति से संन्यास लेने के बाद झांसी को मजबूत महिला प्रत्याशी नहीं मिला। 1984 के बाद 1989 और 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में कोई भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। 1996 के चुनाव में प्रभादेवी ने चुनाव लड़ा था। 1728 वोटों के साथ उनको हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1998 में अपना दल से रेखा पटेल ने चुनाव लड़ा था। 13469 वोट पाकर वे हार गई थी। 1999 में निर्दलीय प्रत्याशी कुसुम कुशवाहा 7439 वोट पाकर हार गई थी।
2004 में भी कोई महिला प्रत्याशी चुनावी रण में नहीं उतरी। लेकिन 2009 के चुनाव में राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से दीपमाला कुशवाहा ने चुनाव लड़ा था। लेकिन वे हार गई थी, उनको 17,399 वोट मिले थे। उसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव हुए। तब पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारतीय के अलावा 3 महिला प्रत्याशियों बीएसपी से अनुराधा शर्मा, आप से अर्चना और निर्दलीय प्रत्याशी रचना ने ताल ठोकी थी। इस चुनाव में उमा भारतीय ने चुनाव जीता था। इसके बाद 2019 में अनुराग शर्मा सांसद बने। तब भी बुंदेलखंड क्रांति दल से श्रुति अग्रवाल चुनाव लड़ी थी।
एक महिला ने भरा था पर्चा, पर हो गया निरस्त
2024 के आम चुनाव लड़ने के लिए टीकमगढ़ के नीमखेरा निवासी रोहिणी ने नामांकन पत्र भरा था। लेकिन जांच में उनका नामांकन पत्र निरस्त हो गया था। अब 10 प्रत्याशी चुनावी रण में है, लेकिन कोई महिला प्रत्याशी नहीं है।