राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने काशी में एक कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट किया कि जो लोग औरंगजेब को आदर्श नहीं मानते, उनका संघ में स्वागत है। उन्होंने कहा कि संघ में शामिल होने वालों को ‘भारत माता की जय’ कहना और भगवा ध्वज का सम्मान करना आवश्यक है। भागवत रविवार सुबह काशी के मलदहिया क्षेत्र में संघ की शाखा में शामिल हुए, जहां उन्होंने स्वयंसेवकों के सवालों के उत्तर भी दिए।
भागवत ने ज़ोर देकर कहा कि भारतीयों की पूजा पद्धतियां और जीवनशैली भिन्न हो सकती हैं, लेकिन देश की संस्कृति एक है। इससे पहले, 30 मार्च को नागपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोहन भागवत से मुलाकात की थी। काशी में अपने पांच दिवसीय प्रवास के दौरान भागवत ने हिंदुत्व और सामाजिक एकता पर जोर देते हुए कई संदेश दिए।
1. हिंदू जातियों में विभाजन नहीं होना चाहिए
मोहन भागवत ने कहा कि प्रयागराज के हालिया महाकुंभ ने यह साबित कर दिया है कि हिंदू समाज जातियों से ऊपर उठ सकता है। 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि हिंदू समाज में एकता की भावना प्रबल हो रही है। उन्होंने कहा कि मंदिर, श्मशान और पानी जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं सभी हिंदुओं के लिए एक समान होनी चाहिए। जातिगत भेदभाव को समाप्त करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
2. गांवों तक संघ की पहुंच बढ़ेगी
अपने दौरे में भागवत ने मिर्जापुर, गाजीपुर और सोनभद्र जैसे जिलों में भी स्वयंसेवकों से संवाद किया और बताया कि उत्तर प्रदेश की सभी 58,000 ग्राम पंचायतों में संघ शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण शाखाओं में ‘पंच प्रण’ यानी सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी अपनाना और उत्तम नागरिक निर्माण जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी जाएगी।
3. पढ़े-लिखे युवाओं को संघ से जोड़ा जाएगा
भागवत ने काशी में आयोजित बौद्धिक सम्मेलन में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब संघ का फोकस शहरों के साथ-साथ गांवों के पढ़े-लिखे युवाओं को भी जोड़ने पर होगा। IIT, IIM और विश्वविद्यालयों के माध्यम से संघ की विचारधारा को युवाओं तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने संघ पदाधिकारियों से कहा कि वे हर गांव से कम से कम 100 शिक्षित युवाओं को संगठन से जोड़ें, ताकि वे सामाजिक विषमताओं को दूर कर सकें।
4. 2027 तक BJP और संघ एक विचार में दिखेंगे
काशी प्रवास के दौरान भागवत ने जो विचार रखे, वे काफी हद तक BJP के कोर एजेंडे से मेल खाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी नागपुर में संघ की भूमिका की सराहना की थी। यह संकेत है कि आगामी वर्षों में BJP और संघ की नीतियों में अधिक सामंजस्य दिखाई देगा। 2027 तक के राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए दोनों संगठनों का एक मंच पर आना रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है।
आगामी दौरों में भी रहेगा सामाजिक एकता पर फोकस
काशी दौरे के बाद मोहन भागवत 7 अप्रैल को लखनऊ और 8 अप्रैल को कानपुर का दौरा करेंगे। इन प्रवासों में भी जातीय एकता और सामाजिक समरसता के संदेश को आगे बढ़ाया जाएगा। 30 अप्रैल को वे पुनः काशी आएंगे, जहां वे एक सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होंगे।