सीसामऊ विधानसभा जिसे सपा का गढ़ कहा जाता है, उपचुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में भाजपा किसी भी कीमत पर सपा के गढ़ पर अपना आधिपत्य जमाने की फिराक में है। जिसको ध्यान में रखकर भाजपा ने अपने पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता और 9 बार के विधायक सुरेश खन्ना को अपना प्रभारी बनाया है। वर्तमान में वे यूपी सरकार में वित्त मंत्री हैं। वहीं जल्द ही एस सीट पर अपना दौरा कर रणनीतिक भूमि तय कर सकते हैं।
भाजपा ने सीसामऊ विधानसभा में अपने सबसे वरिष्ठ विधायक को अपना प्रभारी बनाकर ये बता दिया है कि ये सीट उनके कितनी मायने रखती है। बता दें कि ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर मोदी लहर का भी कोई प्रभाव नहीं दिखा है। वहीं इस सीट से रहे विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा होने के बाद ये सीट उप-चुनाव के लिए ललायित थी।
बता दें कि वर्ष 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र का नया परिसीमन हुआ। उसके बाद से यह सीट सपा के पास है। भाजपा के पास ये सीट जीतने का बड़ा मौका है। इसे भाजपा खुद समझ रही है और इस मौके को अब भाजपा गंवाना नहीं चाहती है। वहीं इस सीट पर कई नेता अभी से दावा ठोंकने में लगे हैं। बड़े नेताओं के साथ-साथ दिल्ली के सांसदो के चक्कर भी काटने लगे हैं।
इस सीट पर अब भाजपा में ही मांग उठने लगी है कि सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में निवास करने वाले भाजपा कार्यकर्ता को टिकट मिले। वहीं पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार पार्टी आलाकमान यहां से दलित चेहरे को टिकट देकर चुनाव लड़वा सकती है।
ये सीसामऊ सीट साल- 1991 से 2002 तक लगातार 3 बार भाजपा के पाले में रही है। यहां से 3 बार राकेश सोनकर विधायक बने हैं। जबकि इसके बाद 2002 से 2012 तक कांग्रेस पार्टी से संजीव दरियाबादी के पास यह सीट रही। इनमें एक चीज ये समान्य थी कि ये दोनों ही विधायक दलित चेहरे के रूप में यहां से जीत कर आए थे। भाजपा बीते चुनावों से यहां ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा रही है, लेकिन प्रत्येक बार उसे हार का ही मुंह ही देखना पड़ रहा है। ऐसे में इसकी ज्यादा संभावना है कि इस बार पार्टी दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है।
इस विधानसभा सीट के मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भाजपा को जीत दर्ज करने के लिए ब्राह्मण और दलितों को अपने पक्ष में करना होगा। क्योंकि मुस्लिम मतदाता यहां से भाजपा से नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा सीसामऊ विधानसभा गवां चुकी है। ऐसे में भाजपा को मुस्लिम वोट-बैंक को साधने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने की जरूरत है।
मुस्लिम- 111000
ब्राह्मण- 70,000
दलित- 60,000
कायस्थ- 26,000
सिंधी और पंजाबी- 6000
क्षत्रीय- 6000
अन्य पिछड़ा वर्ग- 12411
सपा- 50.68 फीसदी
भाजपा- 42.83 फीसदी
कांग्रेस- 3.60 फीसदी
बसपा- 1.88 फीसदी
सपा- 47.35 फीसदी
भाजपा- 43.58 फीसदी
बसपा- 7.75 फीसदी
सपा- 42.17 फीसदी
भाजपा- 27.50 फीसदी
कांग्रेस- 16.44 फीसदी
बसपा- 11.83 फीसदी