लखनऊः सिंचाई विभाग में 50 अधीक्षण अभियंताओं के तबादलों पर करीब एक महीने से असमंजस बना हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय और विभागीय मंत्री में आपसी समन्वय न हो पाने के कारण यह स्थिति बनी है। लगभग 1 माह पूर्व सिंचाई विभाग में 50 से अधिक अधीक्षण अभियंताओं के स्वेच्छा के आधार पर ऑनलाइन तबादले किये गये थे, लेकिन अभी तक आदेश जारी नहीं हो पाया। तबादले न होने से प्रदेश में बाढ़ बचाव कार्य की तैयारी ठप सी हो गई है। निश्चित रूप से तबादले होने में जितनी देर लगेगी बाढ़ के कार्य उतने प्रभावित होंगे, जिस तरह से अधीक्षण अभियंताओं की तैनाती स्वेच्छा के आधार पर विभागीय मंत्री, विभागीय प्रमुख सचिव एवं विभागाध्यक्ष ने ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत पारदर्शी तरीके से तबादले किये थे। उस पर कहीं न कहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ने शंका व्यक्त की और तबादलों की पत्रावली आपत्ति लगाकर वापस भेज दी गई।
तबादलों में बनी असमंजस की स्थिति
विभागीय मंत्री द्वारा पुनः आपत्ति का जबाव देते हुये पुनः फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी। लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री कार्यालय ने उन स्थानातंरणों को हरी झंडी नहीं दी है। ‘यूपी की बात’ ने इस रस्साकशी की पड़ताल की तो यह पाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय को कई अधीक्षण अभियंताओं के नामों पर ऐतराज है। लेकिन विभागीय मंत्री स्वतंत्र देव द्वारा बताया गया कि ऑनलाइन प्रक्रिया सही ढंग से की गई है अब ऊपर के लोग उच्च स्तर पर निर्णय लें। निश्चित रूप से यह कहा जाए कि प्रमुख सचिव सिंचाई और मुख्यमंत्री कार्यालय में आपस में समन्वय नहीं हो पा रहा है। इससे कही न कही असमंजस की स्थिति बनी हुई है।