आम चुनाव 2024 के तहत लगी आदर्श आचार संहिता को खत्म होते ही एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने पिछले दिनों ही एक उच्च स्तरीय बैठक कर विभिन्न विभागों के अधिकारियों को तलब करके समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं में प्रगति लाने के निर्देश भी दिये।
इसके साथ ही दिए गए कार्यों में लापरवाही बरतने वालों की सूची भी उनके सामने प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। बैठक के दौरान सीएम योगी ने राजस्व संबंधी मामलों में लापरवाही करने वाले ऑफिसर पर खासी नाराजगी जताई और तत्काल लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने का निर्देश दे दिया। साथ ही, दो हफ्ते में इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपने को कहा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद राजस्व से जुड़े अधिकारी एलर्ट मोड में आ गए हैं। इसी क्रम में राजस्व परिषद चेयरमैन रजनीश दुबे ने हाल ही में राजस्व से जुड़े मामलों की समीक्षा भी की। इसमें उन्होंने राजस्व संबंधी कार्यों में लापरवाही करने पर राजस्व अफसरों, एडीएम, एसडीएम, नायाब तहसीलदार और तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उधर, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने भी राजस्व संबंधी मामलों को लेकर बैठक करके स्थिति को जानने का प्रयास किया।
ऐसे में उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों में राजस्व संबंधी मामलों के निपटारे में लापरवाह अधिकारियों को फटकार भी लगायी है। साथ ही कार्यों में सुधार लाने के निर्देश दिये है। इसके साथ वह जल्द ही राजस्व संबंधी मामलों में अनियमितता बरतने वाले जिलों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप देंगे, जिसके बाद इन अधिकारियों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा राजस्व विभाग की बैठक में सामने आया कि राजस्व संबंधी मामलों के निपटारों में कई जिले फिसड्डी रहे हैं। इस पर उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाने के साथ सुधार लाने के निर्देश भी दिये। बता दें कि बैठक में मुख्य सचिव ने पाया कि रियल टाइम खतौनी में कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट और बलरामपुर का प्रदर्शन अच्छा नहीं है। इसी तरह वाराणसी, सोनभद्र, बलिया, मैनपुरी और गोरखपुर में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण का प्रतिशत भी काफी कम रहा है।
इन जिलों में केवल 50 फीसद ही अंश निधारण का कार्य हुआ है। वहीं स्वामित्व योजना के तहत घरौनी तैयार करने में गोरखपुर, प्रयागराज, बाराबंकी, जौनपुर और गाजीपुर में काफी धीमी गति से काम चल रहा है। ऐसे में मुख्य सचिव ने इसमें तेजी लाने के निर्देश देते हुए राजस्व वादों के निस्तारण में महोबा, चित्रकूट, मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत फिसड्डी रहे हैं। जहां आठ हजार से अधिक मामले लंबित हैं।
अफसरों के बैठक में यह बात सामने आया है कि राजस्ववाद के तहत धारा-24 (पैमाइश) में लखनऊ, प्रयागराज, अमरोहा, फतेहपुर और सहारनपुर जिलों का प्रदर्शन ठीक नहीं है। इसके साथ ही धारा-34 (नामांतरण) में कुशीनगर, सोनभद्र, रायबरेली, बलिया और अमेठी में पहले से ज्यादा सुधार हुआ है, लेकिन निपटारे का प्रतिशत 95 प्रतिशत से कम रहा है।
इसी तरह धारा-80 (कृषिक भूमि का गैर-कृषिक भूमि में परिवर्तन) के तहत अयोध्या में 34, प्रतापगढ़ में 21, गोरखपुर में 12, कानपुर नगर में 10 और बाराबंकी में 7 मामले लंबित हैं। यह सभी मामले एक वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से कम के हैं। जिसको लेकर मुख्य सचिव जल्द ही पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप सकते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी द्वारा लापरवाह अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।