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UP NEWS:  क्या आप जानते है कि आजादी की लड़ाई में नजर आती है कानपुर शहर की झलक

देश की आजादी का जब कभी भी जिक्र किया जाता है तो उसमे कानपुर का नाम जरूर शामिल होता है। देश की आजादी में कानपुर शहर ने अहम भूमिका निभाई है. यह वह शहर है जहां से देश के तमाम बड़े क्रांतिकारियों ने आंदोलन की चिंगारी जलाई और अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। देश की आजादी में कानपुर की हिस्सेदारी की गवाही लड़ाई से जुड़ी महापुरुषों की मूर्तियां दे रही हैं। यह वह मूर्तियां है जिन्हें देखकर शरीर में जोश आता है और उनकी शौर्य गाथा भी समझी जा सकती है।

By: Priya Tomar  RNI News Network
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UP NEWS:  क्या आप जानते है कि आजादी की लड़ाई में नजर आती है कानपुर शहर की झलक

UP NEWS:  देश की आजादी का जब कभी भी जिक्र किया जाता है तो उसमे कानपुर का नाम जरूर शामिल होता है। देश की आजादी में कानपुर शहर ने अहम भूमिका निभाई है. यह वह शहर है जहां से देश के तमाम बड़े क्रांतिकारियों ने आंदोलन की चिंगारी जलाई और अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था।

देश की आजादी में कानपुर की हिस्सेदारी की गवाही लड़ाई से जुड़ी महापुरुषों की मूर्तियां दे रही हैं। यह वह मूर्तियां है जिन्हें देखकर शरीर में जोश आता है और उनकी शौर्य गाथा भी समझा जा सकती है।

क्षेत्रों में स्थापित है वीर सपूतों की मूर्तियां

कानपुर शहर के बिठूर क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रुप में घोषित कर दिया गया है लेकिन यहां प्रवेश करते ही रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति घोड़े पर सवार लगी है जिसे देखकर हर आने जाने वाले को उनकी याद आती है।

इसी तरह डीएवी कॉलेज के मुख्य द्वार के पास क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी की मूर्ति को स्थापित किया गया है जो कॉलेज आने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन गए है,साथ ही उनके बलिदान को याद दिलाने के लिए लगाया गया है।

वहीं दूसरी ओर नाना राव पार्क में शहीद शालिग्राम शुक्ल, मंगल पांडे जैसे महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित है. सैकड़ों लोग इस पार्क में सुबह, शाम घूमने आते हैं और यहां सेल्फी लेते हैं। शहर के प्रमुख स्थलों पर स्थापित इन क्रांतिकारियों की प्रतिमा देश के लिए बलिदान में कानपुर की हिस्सेदारी को दर्शाती है।

कानपुर का विशेष तिलक हॉल

देश की आजादी में तिलक हाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपको बता दें कि 87 साल तक कानपुर के तिलक हाल ने गुलामी का दर्द देखा तो वहीं आजादी की खुली हवा में शहर को सांस लेते देखा है।

हॉल के तोरण द्वार पर 14 अगस्त की रात्रि तिरंगे को सलामी देते लोगों की खुशी को भी उसने महसूस किया है। कानपुर के विकसित स्वरूप की कहानी तिलक हाल से बेहतर कोई नहीं बता सकता है।

इसी शहर का आंदोलनों में भी रहा विशेष सहयोग

आपको बता दें कि तिलक हाल के उत्तर पूर्व में स्थित खुर्द महल पार्क विभिन्न आंदोलनों का केंद्र होता था। यह वह स्थान है जहां गांधी के करो या मरो के नारे के साथ अगस्त क्रांति की शुरूआत हुई तो उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए इसी पार्क में नेता जुटे।जैसे ही अंग्रेजों को भनक लगी तो उन्होंने नौ जून 1942 की शाम को यहां से नेताओं की गिरफ्तारी करा दी।

This post is written by PRIYA TOMAR 

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