उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी से जुड़े विवादों को कम करने और पारदर्शिता लाने के लिए किराया समझौतों (रेंट एग्रीमेंट) की रजिस्ट्री अनिवार्य करने का फैसला किया है। अब सिर्फ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट पर लिखी शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी, जिससे किरायेदारों और मकान मालिकों दोनों को सुरक्षा मिलेगी।
इस नई व्यवस्था के तहत स्टाम्प शुल्क भी कम कर दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोग अपने किरायेदारी समझौतों को पंजीकृत करा सकें। आइए जानते हैं इस प्रस्ताव के मुख्य बिंदु—
क्यों जरूरी है किराया समझौते की रजिस्ट्री?
- कानूनी सुरक्षा: गैर-पंजीकृत किराया समझौते की कोई कानूनी वैधता नहीं होती, जिससे विवाद की स्थिति में न्याय पाना मुश्किल हो जाता है। अब रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ही कोर्ट में स्वीकार्य होगा।
- विवादों में कमी: मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार सुरक्षित रहेंगे, जिससे धोखाधड़ी और जबरन बेदखली जैसी समस्याओं में कमी आएगी।
- स्टाम्प शुल्क में कटौती: सरकार ने स्टाम्प शुल्क को कम करके इसे सभी के लिए किफायती बना दिया है।
स्टाम्प शुल्क में बदलाव: अब कितना देना होगा?
उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी समझौते की पंजीकरण प्रक्रिया को सुलभ बनाने के लिए स्टाम्प शुल्क को कम कर दिया है।
किराये की राशि (वार्षिक) | नया स्टाम्प शुल्क |
---|---|
₹2 लाख तक | ₹500 |
₹5 लाख तक | ₹5,000 |
₹1 करोड़ तक | ₹20,000 |
- पहले, 1 साल के किराया समझौते पर किराए का 2% स्टाम्प शुल्क देना पड़ता था, जिसे अब घटा दिया गया है।
- 30 साल या अधिक समय के एग्रीमेंट पर बैनामे की तरह 7% स्टाम्प शुल्क लगता था, जिसे अब सरल किया जाएगा।
- महिलाओं को विशेष छूट: 1 करोड़ रुपये तक की संपत्ति पर महिलाओं को 1% स्टाम्प शुल्क छूट मिलेगी।
नए और पुराने नियमों की तुलना
समयावधि | पुराने नियम (स्टाम्प शुल्क) | नए नियम (स्टाम्प शुल्क) |
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1 साल | किराए का 2% | ₹500 से ₹20,000 तक |
5 साल | 3 वर्ष के किराए का 2% | लागू नहीं |
10 साल | 4 वर्ष के किराए का 2% | लागू नहीं |
30 साल+ | 7% (बैनामा शुल्क) | लागू नहीं |
ऑनलाइन पोर्टल से होगी प्रक्रिया आसान
- सरकार एक वर्ष तक के रेंट एग्रीमेंट के लिए विशेष ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करेगी।
- पोर्टल पर तय फॉर्मेट उपलब्ध होगा, जिसे डाउनलोड करके स्टाम्प पेपर पर प्रिंट किया जा सकेगा।
- इससे रजिस्ट्री प्रक्रिया आसान और पारदर्शी होगी।
महिलाओं के लिए विशेष छूट: क्या मिलेगा फायदा?
उत्तर प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क छूट दे रही है।
संपत्ति मूल्य | पहले स्टाम्प शुल्क | अब (महिलाओं के लिए छूट) | बचत |
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₹10 लाख तक | 7% (₹70,000) | 6% (₹60,000) | ₹10,000 |
₹1 करोड़ तक | 7% (₹7 लाख) | 6% (₹6 लाख) | ₹1 लाख |
- महिलाओं को अधिकतम ₹1 लाख की छूट मिलेगी।
- सरकार का उद्देश्य महिलाओं की संपत्ति में हिस्सेदारी बढ़ाना है।
अगर किराया समझौता रजिस्टर्ड नहीं हुआ तो क्या होगा?
- कोई कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी और मकान मालिक या किरायेदार विवाद की स्थिति में कोर्ट में दावा नहीं कर पाएंगे।
- गैर-पंजीकृत समझौतों पर किसी भी पक्ष को कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी, जिससे धोखाधड़ी की संभावना बढ़ सकती है।
आगे की प्रक्रिया: कैबिनेट की मंजूरी के बाद होगा लागू
स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल के अनुसार, यह प्रस्ताव जल्द ही राज्य कैबिनेट में पेश किया जाएगा। इस नियम के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में किरायेदारी से जुड़े विवादों में कमी आने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। स्टाम्प शुल्क में कटौती, ऑनलाइन पोर्टल, और कानूनी मान्यता मिलने से किरायेदारी व्यवस्था अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होगी।