उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश विधानसभा में लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट को कल यानी शुक्रवार 9 फरवरी को पास कर दिया गया है। शुक्रवार की सुबह उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सदन में लिफ्ट विधेयक को पेश किया, जिसे पूरे सदन ने सर्वसम्मति से अपनी सहमति प्रदान कर दी। इस सत्र के दौरान दोपहर के बाद लिफ्ट एक्ट को पास कर दिया गया आपको बता दें कि इस एक्ट के अंतर्गत, घरेलू लिफ्ट को छोड़कर बाकी सभी स्थान पर लगे लिफ्ट के लिए ऑपरेटर्स को रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस एक्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग में लिफ्ट या एस्केलेटर लगाने से पहले इजाजत लेना अनिवार्य है और बिजली सुरक्षा निदेशालय में रजिस्ट्रेशन करवाना भी अनिवार्य होगा। इसके बाद सरकार द्वारा गठित टीम उस स्थान का मुआयना करने आएगी। वहीं ऑडिट के दौरान कई शर्तें भी रखी जाएंगी, जिनको मानना अनिवार्य होगा। नियम के तहत अब जो लिफ्ट लगेगी, उनमें “ऑटो रेस्क्यू डिवाइस” लगा होना अनिवार्य है। जिसका तात्पर्य है कि यदि बिजली या तकनीकी खराबी होने के चलते लिफ्ट रुक जाती है तो नजदीकी फ्लोर पर अपने आप दरवाजा आकर खुल जाएगा।
इस प्रारूप के मुताबिक थर्ड पार्टी का बीमा करवाना जरूरी होगा, ऐसे में कोई हादसा होने की स्थिति में पीड़ित को भी मुआवजा दिया जाएगा। बता दें कि ग़ाज़ियाबाद के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटियों में हज़ारों की संख्या में लिफ़्ट लगे हुए हैं, जिनके देख-रेख और मैनेजमेंट को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं थे ऐसे में आए दिन इन शहरों में लिफ़्ट से जुड़े हादसे रोज़मर्रा की जैसे जिंदगी से जुड़ गए थे। ऐसे में इस एक्ट के माध्यम से इसमें काफी हद तक कमी आ सकती है।
बीते महीने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ़्ट से एक हादसा हुआ है, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन अब नियमों के मुताबिक लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के बाद दुर्घटना की स्थिति में लिफ्ट मलिक द्वारा पीड़ित को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। इसी के साथ लिफ्ट और एस्केलेटर में समस्या होने पर तत्काल उसे ठीक करवाना होगा।
इसी के साथ इस एक्ट के अंतर्गत लिफ्ट मालिकों को वर्ष में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल का अभ्यास करवाना जरूरी होगा। वहीं यदि स्थापना एवं संचालन के संबंध में शिकायत प्रशासन के पास आती है तो मालिक अथवा संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किये जाने का प्रावधान किया गया है।