1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Lko News: उत्तर प्रदेश सरकार लाएगी नया अधिनियम, घरौनी में संशोधन की मिलेगी सुविधा

Lko News: उत्तर प्रदेश सरकार लाएगी नया अधिनियम, घरौनी में संशोधन की मिलेगी सुविधा

योगी सरकार जल्द लाएगी 'ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025', जिससे घरौनी में संशोधन की सुविधा मिलेगी। आपत्ति, अपील और सर्वे प्रक्रिया को मिलेगा वैधानिक आधार। पढ़ें पूरी जानकारी।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
Updated:
Lko News: उत्तर प्रदेश सरकार लाएगी नया अधिनियम, घरौनी में संशोधन की मिलेगी सुविधा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में घरौनी (स्वामित्व प्रमाणपत्र) से संबंधित मामलों को कानूनी रूप से व्यवस्थित करने के लिए एक नया अधिनियम लाने जा रही है। इस विधेयक के माध्यम से आम नागरिकों को घरौनी में नाम या जानकारी में संशोधन का अवसर मिलेगा, जो अब तक संभव नहीं था।

छह महीने के भीतर दर्ज कर सकेंगे आपत्ति

प्रस्तावित कानून के तहत, जब किसी को घरौनी प्रमाणपत्र प्राप्त होता है, तो उसके छह माह के भीतर संबंधित पक्ष को आपत्ति दर्ज करने का अधिकार होगा। यह आपत्ति सहायक रिकॉर्ड ऑफिसर (एआरओ) के समक्ष प्रस्तुत की जा सकेगी, जो इस पर सुनवाई कर निर्णय लेंगे।

अब मिलेगा स्वामित्व विवादों का समाधान

अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी वाले हिस्सों का स्वामित्व राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होता था, जिससे विवाद की स्थिति में कानूनी कठिनाइयां उत्पन्न होती थीं। बैंकों से ऋण लेने में भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार ने पहले 8 अक्टूबर 2020 को ‘घरौनी प्रबंध नियमावली’ जारी की थी, लेकिन वह किसी अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती थी।

विधेयक को मिलेगा कानूनी दर्जा, सर्वे की प्रक्रिया होगी मजबूत

अब सरकार ‘ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025’ को विधानमंडल में प्रस्तुत करने जा रही है। इसके माध्यम से संपत्ति सर्वे, स्वामित्व निर्धारण और प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को कानूनी वैधता प्रदान की जाएगी। इस प्रक्रिया की निगरानी उप जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी (एआरओ) द्वारा की जाएगी, जबकि सर्वे टीम और राजस्व निरीक्षक के कार्यों पर सीधी नजर तहसीलदार और नायब तहसीलदार रखेंगे।

सड़क से मंदिर तक, सर्वे में सबका होगा उल्लेख

इस सर्वेक्षण में न केवल मकान या खाली भूमि बल्कि सड़कें, गलियां, पोल, ट्रांसफॉर्मर, हैंडपंप, पाइपलाइन, बिजली की लाइन, सीवर, रेलवे लाइन, कम्युनिटी स्थल, मंदिर और अन्य धार्मिक स्थानों का विवरण भी शामिल किया जाएगा।

अपील और न्यायिक प्रक्रिया का भी विकल्प

यदि कोई पक्ष एआरओ के फैसले से असहमत रहता है, तो वह जिला रिकॉर्ड ऑफिसर (आरओ) यानी जिलाधिकारी के पास अपील कर सकेगा। इसके बाद भी समाधान नहीं होने पर सिविल कोर्ट में मामला ले जाया जा सकेगा।

मानसून सत्र में प्रस्तुत हो सकता है विधेयक

शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इस विधेयक के प्रारूप की वर्तमान में विधायी विभाग द्वारा समीक्षा की जा रही है। संभावना है कि इसे उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा, ताकि इसे जल्द से जल्द लागू किया जा सके।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें गूगल न्यूज़, फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...