वाराणसी में तापमान गिरावट के चलते सरसो के फसल को भारी नुकसान हो रहा है। जिससे किसानों की मेहनत पर कुदरत ने पानी दे फेर दिया है। वहीं कुछ फसलें संकट में आ गई हैं। वहीं यदि लगातार तापमान गिरता रहा और बारिश भी बंद नहीं होती है तो सरसों,आलू, चना, मटर जैसी की फसलों के लिए यह घाटक साबित होगा। हालांकि कृषि विभाग के वैज्ञानिक नरेंद्र रघुवंशी ने फसलों को बचाने के लिए और किसानों को इससे सचेत करने के लिए, फसलों को बचाने के उपाय बताए हैं।
फसल के पैदावार पर पड़ सकता है प्रभाव
इस वर्ष वाराणसी में सरसों की फसल का पैदावार अच्छा माना जा रहा है। वहीं, सर्दी में होने वाली इस फसल को लगाने के बाद तापमान का नीचे जाना इसके लिए विषकारी सिद्ध हो सकता है। वहीं पिछले दो दिनों में हुई बारिश से भी इन फसलों पर प्रभाव पड़ सकता है। वहीं यदि बुंदाबादी यहाँ जारी रही तो ऐसे में इन फसलों में कीट भी लगने की संभावना है और जिससे फसल भी खराब हो सकता है। वहीं सरसों की फसलों में चेंपा किट, तुलासिता रोग, अंगमारी रोग जैसे आदि बिमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि चेंपा किट सरसों की खेती पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते है क्योंकि चेंपा फसलों के रस को चूसने लेते हैं। यह कीट बहुत छोटा होता है।
बारिश के कारण पत्ते और टहनियाँ होने लगती हैं खराब
बारिश के कारण पत्तियों और टहनियों पर कीड़े पनपने लगते हैं जिससे पौधों पर तुलासिता रोग हो जाता है, बता दें कि यह एक कवक जनित रोग है। जो शुरुआत में पौधों की पत्तियों और टहनियों पर मटमैले चूर्ण के रंग के रूप में दिखाई देते हैं और बाद में ये उस पूरे पौधे में फैल जाते हैं। जिससे पत्तियां पीली हो जाती हैं और गिरने लगती हैं। वहीं अंगमारी रोग के कारण सरसों की पत्तियों पर भूरे रंग के उभरे हुए धब्बे दिखने लगते हैं और पत्तों के किनारों पर देखने पर ये पीले रंग के दिखाई देते हैं। जो कि बाद में आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं। यही कारण है कि पत्ते पीले होकर गिरने लगते हैं।
समय पर करते रहें कीटनाशक का छिड़काव
आप यदि अपने फसलों पर समय-समय पर, कीटनाशक का छिड़काव करते हैं तो फसल को रोग, कीट से आप बचा सकते हैं।