यूपी के मिर्जापुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर की दुर्दशा को लेकर सवाल उठना लाजमी है। कॉरिडोर निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही के कारण पुराना VIP मार्ग सोमवार को केवल पांच दिन बाद ही फिर से तालाब का रूप ले लिया। यह दुर्दशा तब है जब इस मार्ग के दोनों दिशा में ढलान बनाया गया है, और निर्माण की भव्यता के नाम पर 331 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है।
मंगलवार को हुई हल्की बारिश के दौरान विंध्याचल धाम का पुराना वीआईपी मार्ग एक बार फिर तालाब बन गया। पानी की जमावट से राहगीरों को पैदल चलने में कठिनाई हुई, और वाहन सवार लोग जल क्रीड़ा करते हुए रास्ते से गुजरते रहे। गंदे पानी के छींटों से बचने के लिए लोग प्रयास करते नजर आए, और निर्माण की खामियों पर आक्रोश व्यक्त किया।
विंध्य कॉरिडोर के निर्माण पर 331 करोड़ रुपये सरकार ने खर्च किए, पर निर्माण की गुणवत्ता में कहीं भी किसी भी प्रकार का सुधार नहीं किया गया। वहीं भक्तों को सुविधा देने के नाम पर किए गए खर्च का धरातल पर कोई असर नहीं दिखा और स्थिति जस की तस बनी रही। बरसात के पानी के साथ नालियों का गंदा पानी भी मिल गया, जिससे मार्ग की पूरी स्थिति खस्ताहाल हो गई।
विंध्य कॉरिडोर को चौड़ा करने के नाम पर कई मकानों को तोड़ने का काम किया गया, लेकिन उपयोग की बात करें तो यह निल बटा सन्नाता रहा। ऐसे में कोतवाली रोड पर हाल ही में एक गोदाम में आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर नहीं पहुंच पाई थी। और, छोटी गाड़ियों से आग पर काबू पाया गया। इस स्थिति में मार्ग की चौड़ाई और निर्माण की गुणवत्ता की पोल खुलते हुए नजर आई, जो कागज पर तो ठीक है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।
सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट की असलियत सामने आते ही पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश की, लेकिन मामले में विभागीय अधिकारियों ने ही पीड़ित को मारपीट की। मामला पुलिस और कमिश्नर कार्यालय तक पहुंचा, लेकिन ठंडे बस्ते में चला गया।
गुरुवार को डीएम ने इस संदर्भ में जांच टीम को गठित करके कॉरिडोर के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया, लेकिन उसी दिन तेज बारिश ने निर्माण की खामियों की पोल खोलकर सबके सामने रख दिया। यहां जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिससे मंगलवार की बारिश ने 331 करोड़ के काम को सामने लाकर रख दिया।