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Up Ki Baat: उत्तर प्रदेश में जल परिवहन को मिलेगा नया आयाम, योगी सरकार चला रही है बड़ी योजना

उत्तर प्रदेश में जल परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की तैयारी की जा रही है। योगी सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से इस दिशा में एक वृहद योजना पर कार्य कर रही है। गंगा, यमुना और सरयू जैसी सदानीरा नदियों से परिपूर्ण उत्तर प्रदेश में जलमार्ग विकास की असीम संभावनाएं हैं, जिसे अब सरकार मूर्त रूप देने में जुटी है।

राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का विस्तार और लिफ्टिंग ब्रिज की योजना

भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय जलमार्ग-1, प्रयागराज से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट तक फैला है, जो लगभग 1100 किलोमीटर लंबा है। इसका महत्वपूर्ण हिस्सा उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इस मार्ग पर वाराणसी, रामनगर, गाजीपुर और प्रयागराज जैसे स्थानों पर जल परिवहन टर्मिनल पहले से ही सक्रिय हैं।

जलमार्ग को और सशक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में गंगा नदी पर वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की घोषणा की है। ये आधुनिक पुल जहाजों के गुजरने पर ऊपर उठ जाते हैं और फिर अपने स्थान पर पुनः जुड़ जाते हैं। भविष्य में इन्हें यमुना, गोमती, सरयू, बेतवा, वरुणा और राप्ती नदियों तक विस्तारित किया जाएगा।

नई नदियों को जल परिवहन से जोड़ने की दिशा में कदम

सरकार की रणनीति के तहत अब मंदाकिनी, केन और कर्मनाशा जैसी नदियों को भी जल परिवहन नेटवर्क से जोड़ने की योजना बनाई गई है। साथ ही, राष्ट्रीय जलमार्ग-1 को अब कानपुर से फर्रुखाबाद तक विस्तार देने की तैयारी है। इससे पूरे क्षेत्र में जल यातायात का नया जाल बिछेगा, जो न केवल व्यापारिक गतिविधियों को गति देगा बल्कि स्थानीय विकास को भी बढ़ावा देगा।

जल परिवहन: पर्यावरण के अनुकूल, सस्ता और सुरक्षित विकल्प

जल परिवहन को सड़क और रेल मार्गों की तुलना में काफी सस्ता और सुरक्षित माना जाता है। फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, यह 90% तक अधिक किफायती है। भारी मालवाहन का दबाव सड़कों से हटेगा, जिससे न केवल सड़कों की दशा सुधरेगी, बल्कि प्रदूषण में भी कमी आएगी। इसके अलावा, नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया बल

उत्तर प्रदेश में जल परिवहन के इस विकास से औद्योगिक, कृषि और व्यापारिक गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी। नदियों को यातायात के लिए उपयोग में लाना टिकाऊ और हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे प्रदेश की आर्थिक संरचना को मजबूती मिलेगी और भविष्य में स्मार्ट और टिकाऊ परिवहन प्रणाली के निर्माण में योगदान होगा।

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