गले में गांठ होने पर 14 आयुर्वेदिक उपचार

ABHINAV TIWARI

गांठ रिश्तों में हो या शरीर में दोनों ही जगह नुकसानदेह होता है। वैसे देखने पर दोनों ही परिस्थितियों, बाहरी रूप से सामान्य लगती हैं परंतु अंदर से ये इंसान को खोखला करने का भी काम कर सकती हैं।

ठीक ऐसे ही हमारे गले में या शरीर के किसी भाग में गांठ होने पर भी होता है जिसका ज्यादा दिन तक हमारे शरीर में होना कैंसर, टीबी, पाचन-तंत्र जैसे बीमारियों का कारण बनता है।

ऐसे में अगर आपने इन खतरों को नज़रअंदाज किया तो आप स्वयं अपने जीवन से दगेबाजी कर रहे हैं जो कि आपके सेहत और आपके परिवार के लिए अच्छा नहीं होने वाला है।

गले के गांठ को खत्म करने के आयुर्वेदिक उपाय क्या हैं?

मेथी

गिल्टी को खत्म करने में मेथी सकारात्मक भूमिका निभाता है। इसके लिए आप मेथी के दाने या इसके पत्ते को पीसकर लेप बना सकते हैं और इस लेप के बन जाने के बाद इसे गिल्टी वाले जगह में लगाकर कपड़े से बाँध लें। इसी प्रक्रिया को रोजाना गिल्टी के खत्म होने तक दोहराते रहें।

नीम

गिल्टी के मरीजों को नीम के पत्तों को उबालकर इसके रस को पीना चाहिए। इसके अलावा इसके पत्तों को पीसकर इसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर गिल्टी वाले स्थान पर लेप करने से भी राहत मिलती है। आप नीम के तेल से मालिश भी कर सकते हैं।

आक का दूध

आक के पौधे का इस्तेमाल भी आप गिल्टी के उपचार में कर सकते हैं। इसके दूध में मिट्टी मिलाकर इसे गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों में लागएं। ऐसा कुछ दिनों तक करते रहने से गिल्टी के मरीजों को आराम मिलता है।

गौमूत्र

गौमूत्र के कई फायदों में से एक ये भी है कि आप इसकी सहायता से गिल्टी के प्रभाव को कम कर सकते हैं। यदि आप गौमूत्र में देवदार के पत्ते को पीसकर और हल्का गर्म करके, लेप गिल्टी पर लगाएं तो आपको इस बीमारी से होने वाले दर्द से राहत मिलेगा।

चूना

यदि आप गिल्टी से जल्द से जल्द छुटकारा चाहते हैं तो आपको इसके लिए चूना की सहायता लेनी चाहिए। यदि आप रोजाना रात को सोने से पहले चूना और घी का लेप बनाकर गिल्टी पर लगाएं तो आपको तुरंत लाभ मिल सकता है।

कचनार की छाल और गोरखमुंडी

कचनार एक वृक्ष है जबकि गोरखमुंडी एक घास है। गिल्टी के उपचार में इसका इस्तेमाल करने के लिए कचनार के सुखी छाल को हल्का पीसकर इसे एक ग्लास पानी में 2 से 3 मिनट तक अच्छी तरह गर्म करें। इसके बाद इसमें एक चम्मच पीसी हुई गोरखमुंडी डालकर पुनः 2-3 मिनट तक उबालें। इसके ठंडा हो जाने पर नियमित रूप से दिन में दो बार लें। इससे गिल्टी में राहत मिलेगी।

बरगद का दूध

बरगद के वृक्ष का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है। बरगद के पेड़ से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल आप गिल्टी के उपचार में कर सकते हैं।

गरम कपड़े से सिकाई

गिल्टी के सर्वाधिक आसान घरेलु उपायों में से एक ये है कि आप एक मोटा कपड़ा लेकर उसे हल्का गर्म करके गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों की कम से कम 5 मिनट तक कुछ दिन तक सिकाई करें. इससे भी गिल्टी से छुटकारा मिलने की संभावना रहती है।

नेनुआ का पत्ता

नेनुआ जिसे कई जगह तोरइ भी कहते हैं, का इस्तेमाल सब्जी के लिए किया जाता है लेकिन इसके पत्ते को आप गिल्टी के उपचार के लिए कर सकते हैं। नेनुआ के पत्ते के रस में गुड़ मिलाकर इसका लेप बनाएं और इसे गिल्टी पर लगाएं।

अरंडी का तेल

अरंडी का तेल कई रोगों में औषधि के रूप में इस्तेमाल होता है। गिल्टी में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको सुबह-शाम नियमति रूप से गिल्टी वाले स्थान पर अरंडी के तेल से मालिश करनी होगी।

प्याज का उपयोग सब्जियों और सलाद के साथ कई और सामग्रियों को बनाने के दौरान किया जा सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी सहायता से गिल्टी को भी दूर किया जा सकता है। इसके लिए प्याज को मिक्सी में पीसकर इसे हल्का भूरा होने तक भुनते रहें। इसके बाद इसे गिल्टी प्रभावित क्षेत्रों में लगाकर इसे कपड़े से बाँध लें।

प्याज

हल्दी

हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह हल्दी में यौगिक करक्यूमिन है जो लिपोमा से निपटने में मदद करता है। लिपोमा पर हल्दी का पेस्ट लगाया जा सकता है।

नींबू

गांठ होने और उसमें वृद्धि करने में सूजन जिम्मेदार होता है। वहीं, नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सूजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं। जिससे चर्बी की गांठ को दूर किया जा सकता है।

सेब का सिरका

लिपोमा का इलाज सेब के सिरके से भी किया जा सकता है। दरअसल, सेब के सिरके का प्रयोग करने से शरीर को डिटॉक्सीफाई किया जा सकता है। साथ ही इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और रक्त संचार भी ठीक हो सकता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा की राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

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