6 पॉइंट में समझें कैसे इलेक्ट्रा स्टंप्स दूसरे स्टंप्स से अलग हैं

ABHINAV TIWARI

क्रिकेट में सबसे पहले लकड़ी के स्टंप्स का प्रयोग होना शुरू हुआ था। इसके बाद समान्य स्टम्प के स्थान पर एलईडी स्टंप का आगमन हुआ जिससे अंपायरों का काम बहुत आसान हो गया। अब BBL(बिग बैश लीग) में इलेक्ट्रा स्टंप आने के बाद क्रिकेट में नई क्रांति आ सकती है।

बिग बैश लीग के 13वें सीजन में इस्तेमाल हो रहे इलेक्ट्रा स्टंप्स चर्चा का विषय बने गए हैं। बता दें कि इन स्टंप्स का उपयोग पहले महिला बिग बैश लीग में हुआ था। अब पुरुषों की लीग में भी इन स्टंप्स का इस्तेमाल देखने को मिल रहा है।

आधुनिक तकनीकि से लैश ये स्टंप पूरे क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन स्टंप में मैदान पर होने वाली घटनाओं पर अलग-अलग रंग की लाइट जलती है। 

इन स्टंप के रंग को देखकर ही फैंस समझ सकते हैं कि पिछली गेंद पर क्या हुआ है।

कैसे काम करते हैं इलेक्ट्रा स्टंप?

किस गेंद पर क्या हुआ है, इस आधार पर स्टंप की लाइट चेंज होती रहती है। आइए इनके काम करने के तरीके को समझते हैं।

आउट

विकेट गिरने पर स्टंप का रंग लाल हो जाता है, इसके बाद स्टंप का रंग ऐसा हो जाता है, जैसे स्टंप में आग लग गई हो। जो की बल्लेबाज के लिए पवेलियन लौटने का संकेत होता है।

चौका

चौका लगने पर स्टंप का रंग बदलने लग जाता है, वह अपनी पुराने रंग की बजाय दूसरे रंग के हो जाते हैं और फिर पुराने रंग में चले जाते हैं।

छक्का

छक्का लगने पर स्टंप का रंग एक छोर से बदलना शुरू होता है और दूसरे छोर तक जाता है। इसके बाद दूसरे छोर से पहले छोर तक आता है।

चौका लगने पर पूरे स्टंप का रंग एक साथ बदलता है, लेकिन छक्का लगने पर एक छोर से रंग बदलना शुरू होता है।

नो बॉल

नो बॉल होने पर लाल और सफेद रंग पूरे स्टंप पर चलने लगते हैं। इसमें रंग बदलने का अंदाज छक्के लगने जैसा ही होता है, परंतु इस समय रंग सिर्फ लाल और सफेद ही जलते हैं।

ओवरों के बीच में

ओवर खत्म होने पर स्टंप में बैगनी और नीले रंग की लाइट जलने लगती है।

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