भानगढ़ फोर्ट के 12 रहस्य

ABHINAV TIWARI

यदि आपने भानगढ़ के किले (भानगढ़ फोर्ट) का नाम सुना है तो आप यह जानते होंगे कि इस जगह को भारत की सबसे डरावनी, भुतहा और श्रापित जगह माना जाता है | इसको भारत में पाए जाने वाली डरावनी हवेली, किलों में यह स्थल नंबर 1 पर माना जाता है।

भानगढ़ किले में भूतों के होने का दावा किया जाता है और इस गुत्थी को सुलझाने में पुरातत्व विभाग भी लगा हुआ है। लोगों में इस किले को लेकर डर बना रहता है जिसके चलते लोग रात के समय जाने से हिचकचाते हैं। या कहें तो कोई भी रात को इस किले के आस पास भी नहीं भटकना चाहते। माना जाता है कि किले के अंदर रात के समय पायल की आवाजें सुनाई देती है।

भानगढ़ किले का अनसुलझे 12 रोचक तथ्य 

भानगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करवाया था जो कि उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे | भानगढ़, राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर है। यह किला बहुत ही प्रसिद्ध है और यह ‘भूतहा किला’ के नाम से जाना जाता है। 

भानगढ़ किले के इतिहास के अनुसार निर्माण के बाद यह किला करीब 300 वर्षों तक फला-फूला और आबाद रहा जिसमे लगभग 10000 लोग रहा करते थे।

भानगढ़ किले से सम्बन्धित एक कहानी के अनुसार इस किले की एक राजकुमारी रत्नावती पर एक तांत्रिक सिन्धु सेवड़ा का दिल आ गया था और उसने राजकुमारी को हासिल करने के लिए तन्त्र-मंत्र का सहारा लिया जिसका राजकुमारी को पता चल गया और उस तांत्रिक को इसके लिए मृत्यु की सजा दी गई परंतु तांत्रिक ने मरने से पहले इस  किले को लोगों को श्राप दिया जिसके कारण ये किला और इसमें रहने वाले सभी लोग श्रापित हो गये।

भानगढ़ किले से जुड़ी उस कहानी के अनुसार तांत्रिक की मृत्यु के बाद अजबगढ़ और भानगढ़ में घनघोर युद्ध हुआ तथा किले में रहने वाले सभी लोग और राजकुमारी रत्नावती सहित मारे गए। ऐसी मान्यता है कि, आज भी इस किले में मरने वाले लोगों की आत्माएं घूमती हैं और चीखती रहती हैं।

भानगढ़ किले में कई लोगो और तांत्रिको के द्वारा भूत-प्रेत जैसी घटनाएँ देखे जाने के दावो के बाद भारत सरकार ने सूरज ढलने के बाद इस किले और आसपास के क्षेत्रों में लोगो का प्रवेश वर्जित कर रखा है।

भानगढ़ किले के इस रहस्य को समझने के लिए कई वैज्ञानिको, पैरानॉर्मल एक्सपर्ट, बुद्धजीवियों ने यहाँ पर बहुत खोजबीन की लेकिन वो इस रहस्य से पर्दा नहींं उठा सके|

भानगढ़ किले की रहस्यमई घटनाओ के कारण ही पुरातत्व विभाग द्वारा ही किले के प्रवेश द्वार पर इसे भुतहा घोषित करने का बोर्ड लगाया जा चुका है जिसके अनुसार सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के उपरांत किले में प्रवेश वर्जित है |

भानगढ़ किले की इतनी डरावनी सच्चाई जानकर भी आज रोज हज़ारों पर्यटक देश और विदेशों से यहाँ घूमने आते हैं। यहाँ तक कि कई बड़े टीवी चैंनल इस डरावनी जगह से सम्बन्धित सीरियल, मूवीज और टेली सीरीज बना चुके हैं।

भानगढ़ किले की कारीगरी की भी बहुत तारीफ़ की जाती है। इसकी बनावट में मजबूत पत्थरों से लेकर, सुन्दर शिल्पकलाएँ, पत्थरों पर हाथो की कारीगिरी आदि साफ़ दिखाई देती है। इसमें आपको कई मंदिर भी बने हुए दिख जायेंगे।

भानगढ़ किले के आसपास रहने वाले लोगों को आज भी रातो में किले से किसी के रोने और चिल्लाने की तेज़ आवाजें आती हैं

भानगढ़ किले से सम्बन्धित एक कहानी के अनुसार भानगढ़ किले के निर्माण के समय महाराजा भगवंतदास ने  योगी बालूनाथ को वचन दिया था कि किले की परछाई किसी भी कीमत पर उनके तप-स्थल पर नहीं पड़ेगी लेकिन, महाराजा भगवंतदास के वंशज माधोसिंह ने इस वचन को तोड़ते हुए किले की ऊपरी मंज़िलों का निर्माण करवाया जिनकी परछाई योगी बालूनाथ के तपस्थल पर पड़ गई। जिससे क्रोधित होकर योगी बालूनाथ ने श्राप दे दिया कि यह किला उजड़ जाएगा।

भानगढ़ का ये किला राजस्थान के अलवर क्षेत्र में पड़ता है जहाँ आप सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं।

(डिस्क्लेमर: "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल आत्मा, प्रेतबाधा या ऐसी किसी दावों को न तो बढ़ावा देता है और न ही इसकी पुष्टि करता है। ये आर्टिकल पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों पर आधारित है।)

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