देव दीपावली का अर्थ है "देवताओं की दिवाली," जो एक भव्य त्योहार के रूप में कार्तिक पूर्णिमा के दिन वाराणसी में मनाया जाता है।
यह दिवाली के 15 दिनों बाद आता है, जब पूरा वाराणसी दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है।
कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली के दिन बहते जल या देव स्थान पर दीपदान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और उन्हें बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, फूल, माला, फल, शहद, चंदन आदि अर्पित किए जाते हैं।
इस वर्ष, देव दीपावली 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान, दान, और पूजा-पाठ का खास महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार,कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 16 नवंबर को शाम 05 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और दिवाली मनाते हैं, इसलिए इस दिन देवताओं के लिए दीये जलाने की परंपरा है. वाराणसी में देव दीपावली का विशेष महत्व है।
देव दीपावली पर वाराणसी में हरित आतिशबाजी और लेज़र शो का आयोजन किया जाता है।
देव दिवाली पर पूरे वाराणसी यानी प्राचीन काशी में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। इस दिन लोग मुख्य रूप से जलाशयों के पास दीपक जलाते हैं।