भारत में इन तीन अनुच्छेद के तहत, लगता है आपातकाल?

ABHINAV TIWARI

हम सभी को पता है कि 25 जून 1975 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल की घोषणा अर्धरात्रि को की थी।

ऐसे में आपातकाल के दौरान लोगों से उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए, कोर्ट में सुनवाई का अधिकार खत्म कर दिया गया। इसी के साथ बहुत से लोगों को जेल में भेज दिया गया था।

भारतीय संविधान के आर्टिकल 352, 356 और 360 में 3 प्रकार की इमरजेंसी का जिक्र है।

1. नेशनल आपातकाल

भारत या उसके किसी भी हिस्से की सुरक्षा को लेकर यदि किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न होता है या ऐसा महसूस होता है तो यह लागू किया जाता है।

इसमें बाहरी आक्रमण, युद्ध या देश के अंदर कलह या बड़ी आपदा आने पर नेशनल इमरजेंसी लगाई जाती है।

संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत नेशनल आपातकाल लागू करने का प्रावधान है।

2. राज्य आपातकाल    यह तब लागू होता है, जब किसी राज्य की  सरकार संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं करती या कहे जब राज्य का संवैधानिक सिस्टम फेल हो जाता है।

ऐसे स्थिति में राष्ट्रपति राज्य सरकार को अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।

राष्ट्रपति की निगरानी में राज्यपाल शासन व्यवस्था को चलाते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।

3. वित्तीय आपातकाल   जब देश के अंदर आर्थिक मंदी का दौर होता है। तो ऐसे में देश की सरकार के पास देश चलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता है उस दौरान इसे लागू किया जाता है।

संविधान के अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान किया गया है।

आपातकाल के दौरान आम नागरिकों के अधिकार को सीमित कर दिया जाता है। सरकार इस दौरान नागरिकों की संपत्ति भी जब्त कर सकती है।

राज्य सरकारों पर केंद्र सरकार का कंट्रोल हो जाता है और ऐसी अवस्था में केंद्र राज्य सरकार से जुड़े फैसले भी ले सकती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा में खतरा महसूस होने पर किसी भी व्यक्ति को बिना बताए ट्रायल अरेस्ट किया जा सकता है और मीडिया पर सेंसरशिप भी लग सकती है।

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