क्रॉनिक किडनी डिजीज(CKD) घाटक बीमारी बनते जा रही है। दुनिया में 70 करोड़ से अधिक लोग इसके शिकार हैं।
'द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज' की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में AIDS से करीब 10 लाख लोगों ने जान गवां दिया था, जबकि CKD बीमारी ने 12 लाख लोगों की जिंदगी छीन ली।
क्रॉनिक किडनी डिजीज पहले आमतौर पर बुजुर्गों को होती थी, लेकिन वर्तमान में 20 से 30 साल के युवा भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं।
युवाओं को होने वाली क्रॉनिक किडनी की बीमारी को CKDu यानी क्रॉनिक किडनी डिजीज ऑफ अननोन एटिऑलॉजी कहते हैं।
CKDu ऐसी कंडीशन है, जिसमें डायबिटीज, हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और खानपान , रहन-सहन की वजह से किडनी खराब हो जाती है।
पीने के पानी में सिलिका, यूरेनियम, आर्सेनिक, फ्लोरांइड और दूसरे हैवी मेटल्स होने से किडनी डैमेज हो जाती है।
गर्म इलाकों में काम करने(हॉट स्ट्रेस), डिहाइड्रेशन, दवाइयों के हैवी डोज, पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल से भी CKD का खतरा अधिक होता है।
जंक फूड खाने, कम पानी पीने, कम सोने, एक्सरसाइज न करने से भी किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
खराब लाइफस्टाइल से किडनी को नुकसान पहुंचता है।
डायबिटीज के मरीजों में किडनी ठीक से काम नहीं करती, इसलिए रूट में एल्ब्यूमिन प्रोटीन जाने लगता है। ये क्रॉनिक किडनी डिजीज का अंतिम चरण होता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा की राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।