सत्ता, संघर्ष और शपथ का साक्षी रामलीला मैदान

Abhinav Tiwari

दिल्ली का रामलीला मैदान अन्ना आंदोलन का गवाह भर नहीं है बल्कि इसका इतिहास करीब 150 साल पुराना है। कभी बस्ती का तालाब कहे जाने वाले इस मैदान ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से लेकर ब्रिटिश हुकूमत, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और जय प्रकाश नारायण तक का दौर देखा है।

रामलीला मैदान भारत की आजादी के आंदोलन से लेकर देश में लोकतंत्र की स्थापना और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों की रैलियों का गवाह रहा है।

दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान-जहां कभी अन्ना हजारे के आंदोलन की लहर उठी, वहीं अब 27 साल बाद BJP अपनी सरकार बनाने जा रही है। 20 फरवरी को इसी मैदान में दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण होने जा रहा है।

अजमेरी गेट के पास कभी एक तालाब था, जिसके चारों ओर बस्तियाँ बसी थीं। लोग इसे बस्ती का तालाब कहते थे। बहादुर शाह  जफर की सेना में हिंदू सैनिकों की अच्छी-खासी तादाद थी, और 1845 में इस तालाब के बड़े हिस्से को समतल कर रामलीला मंचन के लिए तैयार किया गया। तभी से यह रामलीला मैदान कहलाने लगा।

यह मैदान सिर्फ़ एक राजनीतिकै मंच नहीं, बल्कि इतिहास का गवाह रहा है। 1975 में आपातकाल के खिलाफ़ यहीं से जयप्रकाश नारायण की हुंकार गूंजी थी। 2011 में अन्ना आंदोलन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंका, जिससे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ।

1880 के आसपास ब्रिटिश सैनिकों ने यहां अपने टेंट लगाए और इसे अपने आरामगाह की तरह इस्तेमाल किया। लेकिन मैदान अपनी पहचान बनाए रहा। बहादुर शाह जफर तक ने अपने जुलूस का रास्ता बदलवा लिया ताकि इस मैदान का दीदार कर सकें।

दिसंबर 1952 में रामलीला मैदान में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सत्याग्रह किया था। इससे सरकार हिल गई थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1956 और 57 में मैदान में विशाल जनसभाए की।

28 जनवरी, 1961 को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने रामलीला मैदान में ही एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। 26 जनवरी, 1963 में प्रधानमंत्री नेहरू की उपस्थिति में लता मंगेश्कर ने एक कार्यक्रम किया।

1965 में जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी, तब लाल बहादुर शास्त्री ने इसी मैदान पर गूंजते हुए कहा- "जय जवान, जय किसान!"  हजारों की भीड़ ने उनके इस नारे को अपनी आवाज़ बना लिया।

सात साल बाद, 1972 में, इंदिरा गांधी ने इसी मैदान में एक विजय रैली की। भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश का निर्माण किया था, और पूरा मैदान उत्साह, जयघोष और देशभक्ति से गूंज उठा।

अब वही रामलीला मैदान एक नए युग की शुरुआत का गवाह बनने जा रहा है। सत्ता समय के साथ जरूर बदली है, पर यह मैदान अब भी खड़ा है-इतिहास को अपनी आँखों में संजोए हुए।

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