शिव के आंसुओं से बने पवित्र कुंड

ABHINAV TIWARI

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक शिव के अपमान से आहत सती ने पिता दक्ष के घर यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया तो महादेव सुध-बुध खो बैठे।

सती के वियोग में शिव इतने व्याकुल हो गए थे कि वे सती का शव लेकर इधर-उधर भटकते रहे। वहीं इस दौरान उनकी आंखों से निरंतर आंसू बहते रहे।

भगवान शिव ने जहां सती की याद में आंसू बहाए थे, उसकी निशानी आज भी मौजूद है।

मान्यता है कि शिव के आंसू से 2 पवित्र कुंड बने। इन्हीं में से एक कुंड को कटाक्ष कुंड कहते हैं।

जिस जगह यह कुंड है, वहीं महादेव का एक भव्य मंदिर भी बनाया गया। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।

शिव के आंसुओं से बना वह कटाक्ष कुंड और कटसराज मंदिर आज के पाकिस्तान में है।

कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के 4 वर्ष कटासराज में ही बिताए थे।

वनवास के दौरान पांडवों ने ही वहां रहने के लिए 7 भवनों का निर्माण कराया था, जो आज 7 पवित्र मंदिरों के नाम से प्रसिद्ध हैं।

मान्यता है कि इसी कटाक्ष कुंड के किनारे ही युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था।

शिव के आंसुओं से बना दूसरा कुंड भारत में राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में है।

यह पोस्ट धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाकलापों  के आधार पर लिखा गया है "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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