भारत देश कई रहस्यों से भरा हुआ है जहाँ आज भी ऐसे कई रहस्य हैं जिन्हें आज भी नहीं सुलझाया जा सका है।
ऐसे ही एक मंदिर राजस्थान के बाड़मेर में स्थित है, जहाँ रात में रुकने पर सख्त मनाही है।
भगवान शिव को समर्पित किराड़ू मंदिर अपने सुंदर स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
इस मंदिर की शैली खजुराहों मंदिर से मिलती-जुलती है, इसीलिए इसे मिनी खजुराहो भी कहते हैं।
लगभग खंडहर हो चुके किराड़ू के 5 प्राचीन मंदिरों में आज भी करीब एक हजार साल पुराने शिलालेख मौजूद हैं।
सुंदर होने के बावजूद लोग यहाँ जाने से बचते हैं, और दूर होने के बाद यहाँ लोग दूर-दूर तक नहीं दिखते हैं।
मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में रुकने वाले लोग पत्थर के बन जाते हैं। इसकी वजह एक साधु का श्राप है।
बताया जाता है कि सदियों पहले एक साधु अपने शिष्यों के साथ किराड़ू आए थे। जहाँ शिष्यों को गांव में छोड़कर कुछ दिन बाहर चले गए थे।
साधु को यकीन था कि जिस तरह गांव वाले उनकी देखभाल करते हैं, उसी तरह शिष्यों का भी ध्यान रखेंगे।
उनके जाने के कुछ दिनों बाद उनके कुछ शिष्यों की तबियत खराब हो गई। ऐसे में सिर्फ एक महिला को छोड़कर किसी गांव वाले ने उनकी मदद नहीं की।
जब तपस्वी साधु किराड़ु वापस आए तो अपने शिष्यों की दूर्दशा देख बहुत क्रोधित हुए और गांव वालों को श्राप दे दिया।
साधु ने श्राप देते हुए कहा कि जिस गांव के लोग के हृदय पत्थर के हैं, वह इंसान बने रहने के काबिल नहीं हैं, इसलिए सब पत्थर के बन जाएं।
वहीं, जिस महिला ने शिष्यों की मदद की थी, साधु ने उसपर दया दिखाते हुए कहा कि तुम इस गांव से बाहर चली जाओ, वरना पत्थर की बन जाओगी।
साधु ने इसी के साथ यह चेतावनी भी दी कि, जाते समय पीछे मुड़ कर न देखे। पर मन में शंका के कारण महिला ने बाहर जाते हुए पीछे मुड़कर देख लिया और वह भी पत्थर की बन गयी।
उस महिला की मूर्ति आज भी किराड़ू मंदिर से कुछ दूर बसे सिहणी गांव में है, जिसे इस घटना के प्रमाण के रूप में देखा जाता है।
(डिस्क्लेमर: "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल आत्मा, प्रेतबाधा या ऐसी किसी दावों को न तो बढ़ावा देता है और न ही इसकी पुष्टि करता है। ये आर्टिकल पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों पर आधारित है।)