काल भैरव महादेव शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार वे शिव के रक्त से उत्पन्न हुए थे।
काल भैरव के साथ उनके वाहन के रूप में कुत्ते को ही दिखाया जाता है। जानिए आखिर उन्होंने कुत्ते को ही अपना वाहन क्यों चुना।
दरअसल, देवता हमेशा अपने लिए ऐसा वाहन चुनते हैं, जो उनके प्रकृति के मुताबिक हो।
कुत्ता न तो अंधेरे से डरता है और न ही अपने शत्रुओं से। शत्रु ज्यादा उग्र होता है, तो कुत्ता उससे भी ज्यादा उग्र होता है। ठीक यही प्रवृत्ति काल भैरव भगवान की है वे किसी से भी नहीं डरते हैं। इसलिए वाहन के रूप में काले कुत्ते का चुनाव किया।
कुत्ता तेज बुद्धि होने के साथ -साथ वफादार भी होता है और अच्छा संरक्षक भी होता है। वह नकारात्मक ऊर्जा से भी रक्षा करता है।
माना जाता है कि काशी में मौजूद स्वर्ग के प्रवेश द्वार की रक्षा भी करता है और उसे खतरों से बचाता है।
मान्यता ये भी है कि काले कुत्ते को रोटी खिलाने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है।
वहीं, ज्योतिष शास्त्र में भी कुत्ते को शनि और केतु का प्रतीक माना गया है, जो शनि के प्रकोप से भी बचाता है।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या से बचने के लिए शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से शनि की दशा का असर कम होता है।
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