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Jhansi LS Election 2024: झांसी में आम चुनाव को लेकर क्या है गरौठा की जनता का मूड?

What is the mood of the people of Garautha regarding the general elections in Jhansi?

What is the mood of the people of Garautha regarding the general elections in Jhansi?

Jhansi LS Election 2024: आम चुनाव 2024 को लेकर क्या है झांसी के गरौठा के जनता का मूड। इस बात को जानने के लिए हमारी टीम जालौन लोकसभा सीट के गरौठा विधानसभा क्षेत्र में पहुंची, जहां ग्राम मोती कटरा में ग्रामीणों से बातचीत की। वहीं इस बातचीत के दौरान यहां के ग्रामीणों का गुस्सा जन प्रतिनिधियों पर स्पष्ट रूप से दिखा। जहां ढाई दशक से मूलभूत सुविधाओं से वंचित, ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों पर अनदेखी का आरोप लगाया है।

गरौठा विधानसभा जालौन संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत

झांसी जिले की गरौठा विधानसभा जालौन संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां 20 मई को पांचवें चरण में मतदान होना है। ‘यूपी की बात’ की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर यहां के लोगों से बातचीत की। जहां लोगों का कहना है कि मोती कटरा के ग्रामीण आज भी अच्छी सड़क के लिए तरस रहे हैं। लोग विकास के लिए कभी जनप्रतिनिधि तो कभी अधिकारियों की ओर निहारते नजर आते हैं। लेकिन कोई भी उनकी सुध लेने को तैयार नहीं हैं।

प्राइवेट बस संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए रोडवेज बसों को बंद कर दिया

कुछ स्ठाई लोगों का कहना है कि मोती कटरा से झांसी के लिए पिछले विधानसभा चुनाव के समय रोडवेज की बस चलाई गयी थी। जिससे कई गांव के लोगों को अच्छी सुविधा मिलने लगी थी। पर कुछ दिन पहले प्राइवेट बस संचालकों को लाभ पहुंचाने की मंशा से रोडवेज के अधिकारियों ने बस की सेवाओं को बंद कर दिया। जिस वजह से दर्जनों गांव के लोग रोडवेज बस की सेवा से वंचित हो गए। लोग अब मोती-कटरा से गरौठा तक पैदल जाने को मजबूर हैं!

गड्ढों को खोदकर छोड़ दिया गया

ग्रामीणों का आरोप है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत बिछाई गई पाइपलाइन मानक के अनुरूप नहीं डाली गई है, कई जगह तो ऐसे हैं जहां गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं। वहीं सड़कों का उचित मरम्मत नहीं किया गया है जिससे लोगों को आवागमन में समस्या होती है! जिससे परेशान होकर लोग अब वोट बहिष्कार का मन बना रहे हैं।

नेता चुनाव में व्यस्त को ग्रामीण समस्याओं से त्रस्त

नेता चुनाव में व्यस्त है, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जन समस्याओं से त्रस्त हैं। इस बार के चुनाव में लोग नेताओं को सबक सिखाने के मूड़ में हैं। जनता मजबूरन अब चुनाव बहिष्कार पर विचार कर रही है। फिलहाल देखने वाली बात ये होगी कि जनता की समस्याओं का कब तक समाधान हो पाएगा।

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