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UP NEWS : कब हटेंगे तीन वर्ष पूर्ण कर चुके सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता एवं अधिशासी अभियंता?

लखनऊः सिंचाई विभाग में कार्मिक विभाग के शासनादेश के मुताबिक तबादले नहीं हो पा रहे हैं। विगत कई वर्षों से सिंचाई विभाग में अनियमित तबादले हुये हैं। कभी छह वर्ष बाद, कभी चार वर्ष बाद, बहाना रहता है बाढ़ का, क्योंकि तबादलों के सत्र में बरसात का मौसम रहता है और बाढ़ आती है। यह एक बड़ा कारण रहता है और इसी कारण इंजीनियर एक ही जगह पर छह छह वर्ष तक जमे रहते हैं और मलाई खाते हैं। ‘यूपी की बात’ की टीम ने जब इस मुद्दे को कई बार उठाया तो सरकार की कुंभकर्णी नींद खुली तो फिर छह वर्ष बाद तबादले किये गये। कमोबेश इस वर्ष भी सिंचाई विभाग में जो अभियंता अपने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं वो अभी तक नहीं हटे।

जलशक्ति मंत्री एवं जलशक्ति विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा  इस पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है और तबादले तीन वर्ष पूर्ण होने के बाद अधीक्षण अभियंताओं एवं अधिशासी अभियंताओं  के तबादलों को शून्य करने की कोशिश की जा रही है, ताकि वो अपने पद पर बने रहे। हर वर्ष बहाना बाढ़ का रहता है कि बाढ़ जाने के बाद तबादले किये जायेंगे, लेकिन तबादले नहीं किये जाते, कार्मिक के शासनादेश के अनुसार समूह क, ख का अधिकारी तीन वर्ष से अधिक एक स्थान पर नहीं रह सकता है, लेकिन सिंचाई विभाग में यह शासनादेश प्रभावी नहीं होता है। यहां मनमाने ढंग से तबादले किये जाते हैं और बहाना रहता है बाढ़ का। विगत चार वर्षों से प्रमुख सचिव सिंचाई के पद पर जमे अनिल गर्ग द्वारा भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इस बारे में  विभागाध्यक्ष से बात करने पर यह बताया गया कि विभाग की तबादले करने की मंशा है, लेकिन कब यह उनको स्वयं नहीं पता। इस बारे में प्रमुख सचिव सिंचाई से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन वो अपने कार्यालय में नहीं मिले। जलशक्ति  मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को विभागीय कार्यों में कोई रुचि नहीं है।

अब यह देखना है कि विभाग के अभियंता तीन वर्ष पूरा करने के बाद चौथा मैच भी खेलेंगे या फिर अन्य जगह के लिये आउट होंगे। गेंद शासन के पाले में है। शासन के उच्च अधिकारी द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से भी इसकी अनुमति प्राप्त करनी आवश्यक है। निश्चित रूप से शासन और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच में सामंजस्य बहुत अच्छा प्रतीत होता नहीं दिखाई दे रहा है। सहायक अभियंताओं के स्थानांतरण को लेकर प्रमुख सचिव सिंचाई, शासन और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच में गतिरोध बना हुआ था, जिससे तबादले नहीं हो पाए।

एडिटर इन चीफ आर. सी. भट्ट की रिपोर्ट

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