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गंडक सिंचाई विभाग गोरखपुर में टेंडरों की जांच कब करायेंगे यूपी के सीएम?

लखनऊः मुख्य अभियंता गंडक सिंचाई विभाग गोरखपुर के अंतर्गत विगत 2 माह पहले सिंचाई परियोजनाओं एवं बाढ़ सुरक्षा कार्यो को लेकर सैकड़ों करोड़ रूपये के टेंडर कराये गए इन टेंडरों में मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता द्वारा भारी अनिमियतता की गई। इन अनिमियतताओं में सबसे पहले ठेकेदारों को ही कहा गया कि आप चिन्हित लाट पर सर्पोटिंग फर्म के साथ ही टेंडर डाले और खुद टेंडर (लाट) पसंद कर लें। कुछ चुनिंदा ठेकेदारों के कॉकस के कहने पर मुख्य अभियंता गंडक ने लाट तय कर दिये। कुछ चुनिंदा ठेकेदारों ने अपने अपने पंसद एवं फायदे के हिसाब से लाटों को चुन लिया और सर्पोटिंग के साथ टेंडर डाल दिया सारे टेंडर चुनिंदा ठेकेदारों के कॉकस ने स्वयं तय कर लिये जबकि टेंडर के नोटिफिकेशन के बाद पूरे प्रदेश में अन्य सिंचाई विभाग का ठेकेदार मानक के अनुरूप होने के बावजूद भी नहीं डाल पाए, क्योंकि सभी लाट मुख्य अभियंता के निर्देश पर मैनेज थे और कुछ चिन्हित ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिये सर्पोटिंग के साथ एक लाट पर तीन टेंडर डलवाये गए और फर्जी कंप्टीशन कराया गया जो उसमें से विलो था उसे टेंडर दे दिये गए, यानि की एक चिन्हित ठेकेदार की अलग अलग नाम से तीन फर्म, तीनों में से एक को टेंडर मिल जाना। इसी तरह दर्जनों लाट पर खेल किया गया जो कि एक भारी अनिमियतता है गंडक सहित पूरे प्रदेश में चिन्हित ठेकेदार द्वारा सर्पोटिंग फर्मो के साथ कई टेंडर डाले जाते हैं और उनके द्वारा जो कागज लगाये जाते हैं वो फर्जी होते हैं जैसे कि फर्जी सिक्योरिटी एवं अन्य जरूरी कागज जो सही नहीं होते।

ठेका किसको मिलना है? माफिया ठेकेदार खुद कर रहे तय!

मुख्य अभियंता गंडक द्वारा उसकी अनदेखी की गई जो कि भारी अनिमियतता है। ठेका किसको मिलना है, यह गंडक के माफिया ठेकेदारों ने तय कर लिया है। गंडक में लगभग 16 प्रतिशत कमीशन की धनराशि ठेकेदारों द्वारा ली जाती है और ठेका देते समय लगभग 5 प्रतिशत कमीशन एग्रीमंट कराई की प्रथा चली आ रही है। इस बार भी कामोवेश यही हुआ जिससे सिंचाई विभाग गोरखपुर गंडक में भारी अनिमियतता की गई और भारी भ्रष्टाचार हुआ। ‘यूपी की बात’ की टीम ने जब इस मामले की पड़ताल की एवं मुख्य अभियंता गंडक विकास सिंह से ‘यूपी की बात’ की टीम ने अनिमियतता और भ्रष्टाचार पर सवाल पूछा तो कैमरे पर आने से मना कर दिया और उनके द्वारा ऑफ कैमरा यह बताया गया कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत हुये हैं कही से कोई घोटाला या फजीवाड़ा नहीं किया गया तो वहीं फर्जी सिक्योरिटी को लेकर अधीक्षण अभियंताओं से जांच कराने की बात कहते नजर आये। अब देखना यह है कि कुछ चिन्हित माफिया ठेकेदारों को अनिमियत ढंग से टेंडर दिये गये हैं यह मामला क्योकि मुख्यमंत्री के गृह जनपद का है। क्या मुख्यमंत्री जी इसकी उच्चस्तरीय जांच करायेगें?

एडिटर इन चीफ आर सी भट्ट की रिपोर्ट

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