प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने दिल्ली स्थित आवास पर ‘मुद्रा योजना’ के लाभार्थियों से संवाद किया। इस दौरान जब रायबरेली से एक महिला उद्यमी का नंबर आया, तो उन्होंने योजना के माध्यम से मिले लाभ और अनुभव साझा किए। उनकी बातों से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री मुस्कुराए बिना नहीं रह सके और उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में पूछ लिया, “आप चुनाव लड़ना चाहती हैं क्या?”
रायबरेली की महिला ने प्रधानमंत्री को बताया कि मुद्रा लोन योजना ने उनके व्यवसाय को नई दिशा दी है। पहले उन्हें लाइसेंस और ऋण प्रक्रिया में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सारी प्रक्रियाएं सरल हो गई हैं। उन्होंने कहा, “आपके सहयोग से एमएसएमई विभाग ने बड़ी प्रगति की है और हम व्यापारियों को अब सीधे लाभ मिल रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम वादा करते हैं कि आपके विकसित भारत के सपने को हम सभी मिलकर पूरा करेंगे।” इस बात पर प्रधानमंत्री मोदी हंस पड़े और उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “आपको चुनाव लड़ना है क्या?” जिस पर महिला ने हंसते हुए कहा, “नहीं।”
प्रधानमंत्री ने महिला से उनके उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी ली। महिला ने बताया कि वह बेकरी व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं और उनके पास 7–8 लोगों का स्टाफ है। उनका मासिक टर्नओवर करीब ढाई से तीन लाख रुपये है। यह जानकारी सुनकर प्रधानमंत्री ने उनके आत्मविश्वास और प्रयासों की सराहना की।
प्रधानमंत्री के इस संवाद कार्यक्रम का उद्देश्य मुद्रा योजना के सफल लाभार्थियों की कहानियों को सामने लाना था। रायबरेली की महिला जैसी कई अन्य उद्यमी अब न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही हैं। यह बातचीत न केवल योजना की सफलता का प्रमाण थी, बल्कि प्रधानमंत्री और जनता के बीच सीधा संवाद और भावनात्मक जुड़ाव का भी उदाहरण रही।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ रायबरेली की महिला की यह बातचीत दिखाती है कि सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर कैसे सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। यह उदाहरण महिला सशक्तिकरण, उद्यमिता और सरल प्रशासन का जीवंत प्रमाण है। एक साधारण सी बातचीत के पीछे एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन छिपा है, जिसे सरकार की नीति और जनता की भागीदारी ने संभव बनाया है।