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Jhansi News: 10 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन

आज प्रदेश के पुराने मेडिकल कॉलजो  में अत्याधुनिक संसाधनों की आवश्यकता है इसके लिये विभागीय प्रमुख सचिव को लगातार दौरा एवं मॉनिटरिंग कर मेडिकल कॉलेजों में बजट आवंटित कर कार्य कराये जाये।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Jhansi News: 10 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन

Jhansi News: प्रदेश के पुराने मेडिकल कॉलेजों में अत्याधुनिक संसाधनों की अति आवश्यकता है और इसके लिये बजट की आवश्यकता होती है। बजट का आवंटन विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा तय किया जाता है और समय समय पर प्रमुख सचिव द्वारा प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों का दौरा कर वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर और कमियों की जानकारी ली जाती है जिससे वहां की कमियों की जानकारी शासन को होती है।

आज प्रदेश के पुराने मेडिकल कॉलजो  में अत्याधुनिक संसाधनों की आवश्यकता है इसके लिये विभागीय प्रमुख सचिव को लगातार दौरा एवं मॉनिटरिंग कर मेडिकल कॉलेजों में बजट आवंटित कर कार्य कराये जाये। जो नही हुये  प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा खुद ये बताये झांसी मेडिकल कालेज का दौरा उन्होंने  कितनी बार किया और कितनी बार मॉनिटरिंग की।

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा द्वारा किसी भी मेडिकल कॉलेज का दौरा नही किया जाता और न ही शासन स्तर पर विभागीय कार्यो में बहुत रूचि ली जाती है। कई मेडिकल कालेज के प्रिंसिपलों से यूपी की बात की टीम ने बात की जिन्होने ऑफ द रिकार्ड वर्तमान प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन से अंसतोष जताया।
पूर्व में कार्यरत तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक कुमार द्वारा चिकित्सा शिक्षा विभाग खासकर मेडिकल कॉलेजों में भागीरथ प्रयास किये गये। जिससे दो वर्ष पूर्व कि व्यवस्था बहुत ही अच्छी चल रही थी।

निश्चित रूप से शासन की भी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि इंफ्रास्ट्रक्चर को समय समय पर अत्याधुनिक करना उनको बजट देना और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपलों को समय समय पर निर्देशित करना और सभी मेडिकल कॉलजों की कमियों की जानकारी कर उसको पूरा करने के साथ बजट आंवटन कराना इस कार्य को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन नही कर पाये। वर्तमान समय में चिकित्सा स्वास्थ्य के साथ साथ चिकित्सा शिक्षा का विभाग होने के कारण कार्य का अत्याधिक बोझ उनके ऊपर है।

पूर्व मे मेडिकल कॉलेजों में फायर फाइटिंग सिस्टम को लेकर शासन द्वारा दिशा निर्देश जाते रहे हैं लेकिन प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल इसमें कितना गंभीर थे यह नतीजा झांसी मेडिकल कॉलेज मे देखने को मिला।

अग्निशमन व्यवस्था मेडिकल कॉलेज की अन्य व्यवस्थाओं में से एक है। वार्डो के अंदर भी फायर फाइटिंग के छोटे छोटे सिस्टम लगे होने चाहिये खास तौर पर आईसीयू, नीकू या अन्य वार्डो में उनकी दीवारे फायर प्रूफ सिस्टम होने के रूप में टाइल्स लगे होने चाहिये और बिजली के तार एवं बिजली के बोर्ड अच्छी क्वालिटी के होने चाहिये जो नही थे। बारह साल पुरानी व्यवस्थाओं से नीकू वार्ड चल रहा था अत्याधुनिक संसाधन से ही बचाव एक बड़ा कारण बन सकता था जिसमें मेडिकल कॉलेज सिस्टम फेल हो गया और काफी हद तक इसके लिये प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा जिम्मेदार है।

सारा ठीकरा प्रिंसिपल पर ही फोड़ देना यह उचित नही होगा क्योकि संसाधन तो सरकार और शासन ही देती है। समस्त घटनाक्रम की जांच तीन टीमें कर रही हैं अब देखना है कि जांच रिपोर्ट में लीपापोती की जाती है या फिर झांसी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को दोषी बनाकर मामले का इत्रश्री कर दिया जाये।

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