Muzaffarnagar Loksabha Election 2024: मुजफ्फरनगर संसदीय सीट पर 19 अप्रैल को पहले चरण के तहत वोटिंग होने वाली है। इस सीट से भाजपा और सपा दोनों ने जाट नेताओं पर दांव लगाते हुए प्रत्याशी के रूप में मैदान पर उतारा है।
उत्तर प्रदेश की Muzaffarnagar सीट पर वोटिंग के लिए अब गिने हुए एक हफ्ते का समय बचा हुआ है। इस बीच यहां से ठाकुर समाज की नाराजगी ने राजनीतिक पारे को और बड़ा दिया है। ऐसे में यहां से दो बड़े जाट नेता को भाजपा और सपा ने खड़ा कर दिया है, जहां बीजेपी से केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को उम्मीदवार बनाया गया है वहीं समाजवादी पार्टी से हरेंद्र मलिक प्रत्याशी बनाया गया है, फिर बसपा की एंट्री ने तो चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। बसपा ने यहां से दारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है।
संजीव बलियान यहां से पिछले दो बार से सांसद रहे हैं
भाजपा के संजीव बालियान पिछले दो बार से लगाातार इस सीट से आम चुनाव में सांसद रहे हैं। तीसरी बार वे फिर से इस सीट पर विजयी होकर अपना लोहा सबके समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं। लेकिन वहीं दूसरे ओर सुरेश राणा से उनके विवाद के चलते इस बार ठाकुरों की नाराजगी उनके भारी पड़ सकती है क्योंकिठाकुरों ने इस बार भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं देने का एलान किया है। ऐसे में भाजपा के दिग्गज नेता ठाकुरों को मनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हालांकि रालोद के साथ गठबंधन से बीजेपी को फायदा मिल सकता है।
सपा-बीजेपी में कांटे का टक्कर
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हरेंद्र मलिक भी जाटों के बड़े नेता के रूप में देखे जाते हैं। वे खतौली से 1985, 1989, 1991 और 1996 में बुरा से विधायक का कार्यभार संभाल चुके हैं। इसके अलावा 2002 से 2008 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई है। उनके बेटे पंकज मलिक चरथावल से सपा विधायक हैं। बता दें कि हरेंद्र मलिक पिछली बार कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े थे और उन्हें महज़ 70 हज़ार वोट ही मिले थे। लेकिन इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन में एक साथ हैं इससे इन्हें लाभ मिल सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सीट की स्थिति
2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद ने सपा-बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें संजीव बालियान ने जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह को करीब साढ़े छह हजार वोटों से मात दिया था। लेकिन इस आम चुनाव में रालोद भाजपा का गठबंधन है और सपा-बसपा भी अलग-अलग चुनाव की कमान पकड़े हुए हैं। लेकिन ठाकुरों की नाराजगी और किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय भी बीजेपी से खुश नहीं है। भाजपा जाट, ओबीसी, ठाकुर और ग़ैर जाटव दलित वोटरों पर निगाहें जमाए हुए हैं, हालांकि जिस प्रकार का माहौल इस सीट पर बना हुआ है उससे किसी एक पार्टी के लिए जीत का अनुमान लगाना कठिन है।
मुजफ्फरनगर संसदीय सीट का जातीय समीकरण
मुजफ्फरनगर में वोटरों की संख्या 18 लाख है। जिनमें 20 प्रतिशत मुस्लिम, 12 प्रतिशत जाट, 18 फीसद दलित हैं। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटर्स अहम भूमिका में रहते हैं।