नोएडा अथॉरिटी में कई ऐसे अधिकारी हैं जो अपने सेवा की शुरुआत से अब तक नोएडा अथॉरिटी में तैनात हैं। कई बार इन्हें यहां अपने पद पर प्रोन्नति भी मिली लेकिन अन्य जगह तैनात नहीं हुये। कुछ लोग लगभग 16 वर्ष से अधिक समय से नोएडा अथॉरिटी में तैनात हैं। ‘यूपी की बात’ की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कुछ अधिकारी जिसमें विजय रावल उप महाप्रबंधक सिविल, सत्येंद्र गिरि प्रबंधक, रूप वशिष्ठ, वरिष्ठ प्रबंधक और रोहित सिंह प्रबंधक इत्यादि लोग वर्षों से नोएडा अथॉरिटी में तैनात हैं। इनके ऊपर कार्मिक विभाग की स्थानांतरण नीति प्रभावित नहीं होती है। उपरोक्त अधिकारी वर्षों से ही अथॉरिटी में विभिन्न पदों पर तैनात होते हुये कार्य कर रहे हैं।
दलाल किस्म के लोगों का गठजोड़
चौकाने वाली बात यह है कि उपरोक्त अधिकारियों का बिल्डर, भूमाफिया एवं अथॉरिटी में अवैध कार्य करने वाले दलाल किस्म के लोग और ठेकेदार। इनके साथ इनका एक गठजोड़ सामने आया। ठेका किसे मिलना है कौन करेगा, किस तरह करेगा, कितना प्रतिशत कमीशन लेना है यह पूरी तरह से इस गठजोड़ का सिंडीकेट तय करता है। इनके पास कुछ ऐसे चिन्हित ठेकेदार हैं जिनको ये काम देते हैं और वो ठेकेदार वर्षों से इनके साथ कार्य कर रहे हैं। इसमें नोएडा के कुछ भू माफिया हैं। नोएडा ऑर्थोरिटी में महाप्रबंधक सिविल का पद अति महत्वपूर्ण है वह सारे सिविल कार्यो को कराता है एवं मॉनिटर करता है। सिविल टेंडर की सभी प्रक्रिया महाप्रबंधक सिविल के पास ही रहती है। वर्तमान समय में महाप्रबंधक सिविल के पद पर उप महाप्रबंधक सिविल को कार्यभार दिया गया है। विजय रावल वर्तमान समय में उप महाप्रबंधक सिविल के पद पर है और महाप्रबंधक सिविल का कार्य देख रहे है।
एक ही जगह पर लंबे समय से जमे हैं अधिकारी
यूपी की बात की टीम की पड़ताल में यह पता चला कि इनकी प्रोन्नति सीनियर मैनेजर से उप महाप्रबंधक के पद पर हुई है और महाप्रबंधक सिविल का भी कार्य देख रहे हैं। विगत 15 वर्षों से यह तैनात है और इनका स्थानातरंण भी अन्य अथॉरिटी में हुआ लेकिन इन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण नहीं किया। इनके साथ अन्य तीन अधिकारी जो वरिष्ठ प्रबंधक एवं प्रबंधक पद पर हैं कमोवेश उनका भी यही हाल है।
स्थानातंरण होने के बाद अथॉरिटी में कार्यभार ग्रहण न करने कारण समय समय पर शासन द्वारा अथॉरिटी के कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। लेकिन विजय रावल, सत्येंद्र गिरि, रूप वशिष्ठ और रोहित सिंह पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई उपरोक्त चारों अधिकारियों का एक भ्रष्ट नेटवर्क अथॉरिटी के अंदर और बाहर कार्य कर रहा है। उपरोक्त लोगों के द्वारा भ्रष्टाचार से करोड़ों रूपये की संपत्ति अर्जित की गई है, ऐसा इनके ऊपर आरोप है जो जांच का विषय है। सरकार को निश्चित रूप से उपरोक्त अधिकारियों की शासन द्वारा सतर्कता विभाग से खुली जांच करानी चाहिये।
उपरोक्त अधिकारियो के लबें समय से नोएडा अथॉरिटी में तैनात को लेकर यूपी की बात की टीम ने शासन में पड़ताल की जिसमें शासन के उच्चतम अधिकारियों से वार्ता करने के बाद यह पता चला कि उपरोक्त अधिकारियों को शासन उच्चतम संरक्षण प्राप्त है।
सवालों से बचते नजर आ रहे विभागीय मंत्री
इस संदर्भ में यूपी की बात की टीम ने लगातार विभागीय मंत्री (औद्योगिक विकास) नंद गोपाल नंदी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वो फोन पर नहीं आए। कैबिनेट बैठक के दौरान जब यूपी की बात के संवाददाता ने सवाल पूछा तो वह कैमरे से बचते नजर आए। फिर कई बार विभागीय मंत्री के नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की गई, विभागीय मंत्री के पीआरओ दिव्याशुं ने फोन उठाया और मंत्री जी से बात कराने की बात कही लेकिन पीआरओ ने मंत्री महोदय से संपर्क नहीं कराया।
कहीं न कहीं इस मुद्दे पर मंत्री जी असहज नजर आये और बात करने से कतरा रहे हैं आगे पड़ताल करने पर यह पता चला विजय रावल सहित अन्य अधिकारी प्रोन्नति होने के कई माह बाद भी अब तक तैनात हैं। विभागीय मंत्री द्वारा स्थानांतरण हेतु अथॉरिटी में तैनात अधिकारियों की वर्तमान (प्रोन्नति के कारण, लंबे समय से तैनात) स्थिति पर रिपोर्ट मांगी गई थी वो रिपोर्ट शासन द्वारा विभागीय मंत्री को भेज दी गई है। लेकिन अभी तक विभागीय मंत्री द्वारा उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इस संदर्भ में यूपी की बात की टीम द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को भी अवगत कराया है।
मुख्यमंत्री जी क्या संज्ञान लेंगे या फिर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का उनका बयान बस यू ही है।
यूपी की बात की रिपोर्ट