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SC Order on Bulldozer: यूपी में क्या सुप्रीम ऑर्डर के बाद थमेगी बुलडोजर की रफ्तार..?

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आए बड़े फैसले के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यूपी में अपराध की घटना होते ही क्या योगी बाबा का बुलडोजर शांत हो जाएगा ? ऐसे में विपक्ष की ओर से कई प्रतिक्रिया सामने आने लगी हैं।

विपक्षी पार्टी ने किया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत

मायावती,अखिलेश सहित कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने एक्स पर लिखा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर विध्वंस से जुड़े आज के फैसले व तत्संबंधी कड़े दिशा-निर्देशों के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यूपी व अन्य राज्य सरकारें जनहित व जनकल्याण का सही व सुचारू रूप से प्रबंधन करेंगी। बुलडोजर का छाया आतंक अब जरूर समाप्त होगा। तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक जनसभा के दौरान बीजेपी पर तंज़ कसा है।

भाजपा ने भी सुप्रीम आदेश का किया स्वागत

दूसरी तरफ बीजेपी प्रवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर आए फैसले का स्वागत किया है। बीजेपी के प्रवक्ता हीरो वाजपेई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है हम उसका स्वागत करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका को निर्देशित किया है नियमों का पालन करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियमों के तहत कार्यवाही करनी चाहिए, यह उन राजनीतिक दलों के लिए भी आईना है जो बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियमों के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है। पर नियमों का पालन किया जाना जरूरी है।

2017 से ऑन है बुलडोजर मॉडल

गौरतलब है उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन लगातार होता आ रहा है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए बुलडोजर को एक मॉडल बना दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर दायर याचिका पर सुनवाई की थी। इस मामले में बुधवार को दिए गए फैसले में कहा गया कि किसी के भी घर को तोड़ा नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संविधान में दिए गए उन अधिकारों को ध्यान में रखा है, जो राज्य की मनमानी कार्रवाई से लोगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

कानून का शासन मतलब बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता

कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को यह पता हो कि उनकी संपत्ति को बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकारी अधिकारी कानून हाथ में लेकर इस प्रकार का एक्शन लेते हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि हमने शक्ति के विभाजन पर विचार किया है। यह समझा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कैसे काम करती हैं? न्यायिक कार्यों को न्यायपालिका को सौंपा गया है।

न्यायपालिका की जगह पर कार्यपालिका को ये काम करना सोभनीय नहीं है

न्यायपालिका की जगह पर कार्यपालिका को यह काम नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर केवल इस वजह से तोड़ती है कि वह आरोपी है। यह शक्ति के विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन है। किसी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए जाने के बाद कोर्ट के पास सजा देने का अधिकार है।

15 दिन पहले नोटिस दिया जाए

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि किसी भी संपत्ति का विध्वंस तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक उसके मालिक को 15 दिन पहले नोटिस न दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि यह नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक के जरिए से भेजा जाएगा। इसे निर्माण की बाहरी दीवार पर भी चिपकाया जाएगा। नोटिस में अवैध निर्माण की प्रकृति, उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के कारणों को बताया जाएगा।

बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी हो

बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। अगर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होता है तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम नागरिक के लिए अपने घर का निर्माण कई वर्षों की मेहनत, सपने और आकांक्षाओं का परिणाम होता है। घर सुरक्षा और भविष्य की एक सामूहिक आशा का प्रतीक है। अगर इसे छीन लिया जाता है, तो अधिकारियों को यह साबित करना होगा कि यह कदम उठाने का उनके पास एकमात्र विकल्प था।

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