यमुना नदी, जो कभी अपने निर्मल जल और पवित्रता के लिए जानी जाती थी, अब धीरे-धीरे नाले का रूप ले रही है। पानी की जगह अब इसमें कीचड़ और कचरा अधिक दिखाई देता है। धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाला यमुना का जल अब आचमन के योग्य भी नहीं बचा है। शहर के 61 नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं, जिससे प्रदूषण और अधिक बढ़ता जा रहा है। संबंधित विभागों की लापरवाही के चलते यमुना की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, जल निगम के एमडी को किया तलब
यमुना नदी की सफाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रबंध निदेशक को 18 मार्च को दोपहर 3 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह कदम 25 नवंबर 2024 के आदेश का पालन न किए जाने और यमुना से गाद, कीचड़ व कचरा न हटाने के संबंध में लिया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि यमुना नदी में 5 से 6 मीटर गहराई तक गाद और कचरे का जमाव हो चुका है। इससे पहले, IIT रुड़की की रिपोर्ट के आधार पर भी कोर्ट ने निर्देश जारी किए थे। न्यायालय ने जल निगम को एक व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जिसमें 25 नवंबर 2024 के आदेश के अनुपालन की पूरी जानकारी देनी होगी।
इसके अलावा, यदि जल निगम को किसी अन्य सरकारी विभाग की सहायता की आवश्यकता है, तो वह इसके लिए उचित अंतरिम आवेदन दाखिल कर सकता है। कोर्ट ने यह भी पाया कि जल निगम ने आंशिक रूप से टेप किए गए और बिना टेप वाले नालों को बंद करने की कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की है, जिससे नदी में लगातार गंदगी गिर रही है।
यमुना सफाई को लेकर पूर्व के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था कि यमुना में गिरने वाले नालों को टेप किया जाए। हालांकि, अब तक इस कार्य में लापरवाही बरती गई है। आगरा शहर में कुल 90 नाले हैं, जिनमें से 61 नाले अब भी बिना टेप किए यमुना में गिर रहे हैं। जल निगम ने इन नालों को टेप करने के लिए 156 करोड़ रुपये की योजना बनाकर शासन को स्वीकृति के लिए भेजी है। इसके अलावा, बिना पंजीकरण वाले सीवर टैंकर भी सीधा सीवेज नदी में बहा रहे हैं, जिससे यमुना का जल और अधिक दूषित हो रहा है।
तीन बड़े नाले बने चुनौती
शहर के भैंरो नाला, मंटोला नाला और ताजगंज मोक्षधाम नाला सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं। नगर निगम दावा करता है कि यमुना में गिरने वाले 61 नालों को बायोरेमेडिएशन प्रक्रिया से साफ किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही दर्शाती है।
आगरा शहर में कुल 1558 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाई गई है, लेकिन अब भी 1475 किलोमीटर अतिरिक्त सीवर लाइन की आवश्यकता है। कई इलाके ऐसे हैं जहां से सीधा गंदा पानी गलियों और बहुमंजिला इमारतों से निकलकर नदी में गिर रहा है।
यमुना बचाने के लिए बनाई गई योजना
यमुना को स्वच्छ करने के लिए बल्केश्वर, भैरों नाला, वाटरवर्क्स, मनोहरपुर, नरायच, एत्माददौला और प्रकाश नगर तक 15.53 किमी लंबी राइजिंग मेन बिछाने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा, 21 किमी लंबी छोटी सीवर लाइन भी बिछाई जाएगी। इसके तहत रजवाड़ा, नरायच, मनोहरपुर, एत्माददौला, भैरों नाला, वाटरवर्क्स और बल्केश्वर के पंपिंग स्टेशनों को अपग्रेड किया जाएगा।
किन इलाकों में होंगे सुधार कार्य?
नालों को यमुना में गिरने से रोकने के लिए निम्नलिखित स्थानों पर सुधार कार्य किए जाएंगे:
इन नालों को डायवर्ट और टैप कर STP (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से जोड़ा जाएगा।
मुख्य निर्माण कार्य
यमुना नदी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन अब तक प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद उम्मीद है कि जल निगम और अन्य संबंधित विभाग तेजी से कार्रवाई करेंगे। अगर यमुना को बचाने के लिए सही समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह नदी पूरी तरह नाले में तब्दील हो सकती है।