उत्तर प्रदेश में अब खाने-पीने की चीजों में थूक या यूरिया मिलाने से 10 साल की जेल का प्रावधान किया गया है। जिसको लेकर प्रदेश की योगी सरकार कानून बनाने की तैयारी में जुटी हुई है।
वहीं यदि योगी सरकार इस कानून को लागू करने में सफल होती है ते यूपी देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां ये कानून लागू होगा। नए कानून में ग्राहक को यह अधिकार भी प्राप्त होगा कि वह होटल, रेस्टोरेंट में पूछ सकेंगे कि उन्हें जो खिलाया जा रहा है उसमें क्या-क्या इंग्रेडिएंट्स मिलाए गए हैं।
दरअसल, यूपी सरकार उत्तर प्रदेश छद्म सौहार्द विरोधी क्रियाकलाप निवारण एवं थूकना प्रतिषेध अध्यादेश-2024 और यूपी प्रिवेंशन ऑफ कन्टेमिनेशन इन फूड (कन्यूजमर राइट टू नो) अध्यादेश लेकर आ रही है। इस संदर्भ में सीएम योगी मंगलवार शाम अपने आवास पर दोनों अध्यादेश के मसौदे पर गृह, विधि एवं न्याय, संसदीय कार्य और खाद्य एवं रसद आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ इस पर मंथन करेंगे।
संबंधित अध्यादेश को कैबिनेट से मंजूरी
सूत्रों की मानें तो, गृह विभाग, विधि एवं न्याय विभाग और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने लंबी मशक्कत और उठापटक के बाद दोनों मसौदे तैयार किए हैं। चर्चा में जिन मुद्दों पर सर्वसम्मति मिलेगी उन्हें शामिल करते हुए अध्यादेश को कैबिनेट से मंजूर कराकर कानून बनाया जाएगा। इस कानून के तहत, खाने पीने की वस्तुओं में थूक, पेशाब या अन्य अवांछित तत्वों की मिलावट रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। अध्यादेश लाने के बाद इसे अगले विधानसभा सत्र में पास कराया जाएगा।
नए कानून में क्या-क्या होंगे नियम…
1- ऑर्डर के बाद भी खाने की चीज में शामिल इंग्रेडिएंट्स कस्टमर को यदि पंसद नहीं आए तो उसे अस्वीकार करने का अधिकार होगा।
2- ग्राहक को यह अधिकार भी मिलेगा कि वह होटल, रेस्टोरेंट में पूछ सकेंगे कि उन्हें जो खिलाया जा रहा है उसमें क्या-क्या इंग्रेडिएंट्स मिलाया गया हैं।
3- वहीं ग्राहक, भोजन को लेकर शक होने पर पुलिस से शिकायत कर सकेगा। इसकी जांच के लिए भी स्टैंडर्ड नियम तय किए जाएंगे।
आखिर यूपी में इस कानून की जरूरत क्यों
यूपी में पिछले कुछ महीनों में दुकानों पर जूस में पेशाब मिलाने और खाने-पानी की वस्तुओं में थूकने के मामले सामने आए हैं। लेकिन इस संबंध में ठोस कानून नहीं होने के कारण आरोपी कानूनी कार्यवाही से बच जा रहे हैं।
ऐसे में विधि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की भी आशंका बनी रहती है। इसलिए ऐसी घटनाओं के रोकथाम के लिए सरकार को अध्यादेश लाने की जरूरत हुई।