लखनऊ: आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जहां बुजुर्गों को उनके बच्चों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। बुजुर्ग माता-पिता को आ रही इस तरह की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार गंभीरता से ले रही है। ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार नया प्लान बना रही है। जानकारी के मुताबिक, अगर बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता की ठीक ढंग से देखभाल नहीं करते हैं, तो वे संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं बन सकेंगे। सरकार भरण पोषण नियमावली में संशोधन पर विचार कर रही है। भरण पोषण के नए नियमों के मुताबिक, अब बुजुर्ग अपनी संतान को संपत्ति से बेदखल कर सकेंगे। इस बारे में समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के सामने शुक्रवार को प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रदेश सरकार प्रस्तावित संशोधनों पर महाधिवक्ता की सलाह लेकर आगे बढ़ेगी। जानकारी के मुताबिक, अगर कोई वरिष्ठ नागरिक असमर्थ होगा तो उसकी जगह कोई संस्था मामले की शिकायत कर सकती है। वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं की सुनवाई के लिए तहसील में एसडीएम और जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपील अधिकरण होगी।
राज्य सप्तम विधि आयोग ने की संशोधन की सिफारिश
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 को स्वीकार करते हुए वर्ष 2014 में नियमावली लागू की गई। राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि यह नियमावली, केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। अभी नियमावली के तहत बुजुर्गों का ध्यान न रखने पर हर महीने अधिकतम 10 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने या एक माह की सजा का प्रावधान है।