उत्तर प्रदेश सरकार अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ युद्ध को अपने औद्योगिक विकास और निर्यात वृद्धि के लिए एक बड़े अवसर में बदलने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने बीते वर्षों में बेहतर कानून व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुनियादी सुविधाएं, सस्ता और कुशल श्रम बल जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जो निवेशकों को आकर्षित करने में मदद कर रही हैं।
निर्यात बढ़ाने के लिए व्यापक रणनीति तैयार
राज्य सरकार नई निर्यात संवर्धन नीति लेकर आ रही है। इसके अंतर्गत इन्वेस्ट यूपी को और प्रभावी बनाया जाएगा, ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर में इंटरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन होगा। यह शो 25 से 27 सितंबर 2025 के बीच होगा, जिसमें वियतनाम को पार्टनर देश बनाया गया है। इस आयोजन में 70 से अधिक देशों से निवेशक और व्यापारी शामिल होंगे।
सरकार बड़े शहरों और प्रमुख एयरपोर्ट्स पर व्यापक प्रचार अभियान भी चलाएगी ताकि ‘ब्रांड यूपी’ की वैश्विक पहचान मजबूत की जा सके।
लेदर और फुटवियर नीति भी होगी अहम
देश में लेदर और फुटवियर उत्पादों के निर्यात में उत्तर प्रदेश की पहले से ही 46% हिस्सेदारी है। अब इसे और बढ़ाने के लिए यूपी सरकार विशेष लेदर एंड फुटवियर पॉलिसी लाने जा रही है।
- तमिलनाडु के बाद यह नीति लाने वाला यूपी दूसरा राज्य होगा।
- इस नीति से कानपुर, उन्नाव और आगरा के औद्योगिक क्षेत्रों को सीधा लाभ मिलेगा।
- एमएसएमई सेक्टर के लिए सुनहरा अवसर
- टैरिफ युद्ध से एमएसएमई सेक्टर को सबसे अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
- चीन से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी केवल 2% है, जबकि चीन की 72%।
उत्तर प्रदेश में 96 लाख MSME इकाइयां हैं, जो इस अवसर का लाभ उठा सकती हैं। सरकार MSME उत्पादकों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम, गुणवत्ता सुधार और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उत्पाद तैयार करने जैसे प्रयास कर रही है। वहीं एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना ने पहले ही यूपी के निर्यात को 88,967 करोड़ से बढ़ाकर दो लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है।
लक्ष्य: 2030 तक निर्यात को तीन गुना करना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार का लक्ष्य 2030 तक निर्यात को तीन गुना करना है। अमेरिका-चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध और सरकार की सटीक तैयारियों को देखते हुए यह लक्ष्य और भी पहले हासिल किया जा सकता है। सरकार की नई रणनीति के तहत, निर्यात संवर्धन कोष की स्थापना, इंटरनेशनल ब्रांडिंग, एमएसएमई क्लस्टर्स का सशक्तिकरण जैसे ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।