ईलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम को नए सिरे से जारी करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। वहीं इस आदेश के खिलाफ भी सरकार किसी भी प्रकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में नहीं करेगी, पर नई मेरिट लिस्ट के तहत सामान्य और ओबीसी वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे उनकी नौकरी नहीं जाएगी। प्रदेश सरकार मेरिट से बाहर होने वाले शिक्षकों को किसी-न-किसी रूप में शिक्षण कार्य में जोड़े रखने का रास्ता तलाशने में लगी हुई है।
बता दें कि मामले को तूल पकड़ते हुए देख यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को अपने हाथ में संभाल लिया है। सीएम ने साफ-साफ ये निर्देश दिए हैं कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।
सूत्रों की माने तो, रविवार रात मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में यह निर्णय हुआ कि नई मेरिट के कारण सामान्य और OBC वर्ग के जो शिक्षक प्रभावित होंगे, उनको अपने नौकरी को लेकर चिंता नहीं करनी है। इसी के साथ सरकार का प्रयास है कि अब इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए ताकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा पार्टी के खिलाफ न रहे।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग जल्द ही हाईकोर्ट के आदेश के अंतर्गत 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती की नई मेरिट तैयार करेगा। नई मेरिट शिक्षक भर्ती सेवा नियमावली 1981 और आरक्षण अधिनियम के नियमों के अनुसार ही जारी होगी। वहीं नई मेरिट बनने के बाद भी पुराने चयनित शिक्षकों पर असर नहीं होगा। वह 31 मार्च 2025 तक अपने पद पर पहले की तरह बने रहेंगे। यानी वर्तमान शैक्षिक सत्र में उनकी नौकरी पर कोई भी संकट नहीं है।
उन्हें नौकरी में बनाए रखने के लिए विधिक, वित्तीय और प्रशासनिक परीक्षण के बाद प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। प्रस्ताव को कैबिनेट से भी मंजूर कराया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, सरकार की कोशिश है कि भर्ती से प्रभावित होने वाले शिक्षकों को पहले समायोजित करने का रास्ता निकाला जाए। इसके बाद ही नई मेरिट जारी की जाए।
69,000 सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। एक तरफ विपक्ष सरकार को घेर कर OBC और दलित युवाओं को साधने की कोशिश कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर सरकार के सहयोगी दल भी वोट बैंक की राजनीति के लिए विपक्ष के सुर में सुर मिला रहे हैं।
अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल लगातार इस मुद्दे को लेकर हमलावर हैं। वह बार-बार बताने का प्रयास कर रही हैं कि OBC आयोग ने भी भर्ती में आरक्षण नियमानुसार देने का फैसला सुनाया था। लेकिन सरकार ने उसे नहीं माना।
जानकार मानते हैं कि नई मेरिट सूची से OBC और दलित वर्ग के कई वंचित अभ्यर्थियों को चयन का मौका मिल जाएगा। OBC और दलितों के बीच इसका फायदा लेने में भाजपा सरकार कितनी सफल होगी इसका तो पता नहीं है, लेकिन विपक्ष यह संकेत दे रहा है कि सरकार उसके दबाव में ही यह कर रही है। यदि विपक्ष का दबाव नहीं होता तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती थी।
बेसिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नई मेरिट से सैकड़ों की संख्या में सामान्य वर्ग के शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक जाएगी। इनमें ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार सहित अन्य जातियां शामिल हैं। इन जातियों को भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। यदि इन जातियों के शिक्षकों की नौकरी पर संकट आया तो इससे भाजपा के वोट बैंक को बड़ा झटका लग सकता है।
सरकार अपने वोट बैंक किसी रीप में खोना चाहिए। इसलिए सरकार बीच का रास्ता निकाल रही है कि नई मेरिट से OBC और दलित वर्ग के अभ्यर्थी भी चयनित हो जाएं। वहीं इससे प्रभावित होने वाले वर्तमान में कार्यरत अगड़ी और पिछड़ी जाति के किसी शिक्षक की नौकरी भी किसी न किसी रूप में बनी रहे।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 85 हजार से अधिक पद खाली हैं। 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती का विवाद चार साल से हाईकोर्ट में चल रहा है।
इसी विवाद के चलते सरकार ने नई भर्ती नहीं निकाली। अब हाईकोर्ट ने नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। इस प्रक्रिया को पूरी करने के चक्कर में अब फिर नई भर्ती प्रक्रिया अटक सकती है।
69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के परिणाम को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में शुरू से ही अधिकारियों के दो राय हैं। आईएएस अफसरों का वर्ग मई 2020 में जारी परिणाम में निर्धारित कटऑफ और आरक्षण को सही ठहरा रहा था।
वहीं, शिक्षा सेवा संवर्ग के अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर उसका विरोध कर रहे थे। वर्तमान में विभाग के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में पहले भी विभागीय मंत्री को अवगत कराया था।
भर्ती के दौरान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी थे। द्विवेदी 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए। जिस दौरान भर्ती हुई रेणुका कुमार बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव थीं।
रेणुका कुमार अब आईएएस की सेवा से इस्तीफा दे चुकी हैं। विजय किरन आनंद स्कूल शिक्षा महानिदेशक थे। विजय किरन अभी प्रयागराज कुंभ मेला अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। विजय शंकर मिश्र बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यवाहक सचिव थे।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके कारण ओबीसी के अभ्यर्थियों को इतना लंबा संघर्ष करना पड़ा। यदि अधिकारी शुरुआत से ही सही काम करते तो सरकार के लिए अब विकट स्थिति नहीं होती।