Site icon UP की बात

Jhansi News: झांसी के टेहरका घाट पर अवैध खनन के चलते युवक की मौत, प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

झांसी जिले के गरौठा तहसील अंतर्गत थाना एरच के टेहरका गांव में अवैध खनन के कारण एक युवक की दर्दनाक मौत हो गई। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में लंबे समय से प्रतिबंधित मशीनों का इस्तेमाल कर अवैध खनन किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन कार्यवाही करने में असमर्थ दिख रहा है।

नदी किनारे गए युवक की मौत

आज सुबह टेहरका गांव निवासी संदीप यादव उर्फ कल्लू नदी किनारे शौच के लिए गया था, जहां अवैध खनन में इस्तेमाल हो रहे लिफ्टरों की चपेट में आ गया। इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि इस अवैध खनन से क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है, जलस्तर घटता जा रहा है, और अब तो इसने जानलेवा रूप ले लिया है।

सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में अवैध खनन?

ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन प्रशासन और सत्ता से जुड़े प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से चल रहा है। नियमों के मुताबिक, लिफ्टरों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन इसके बावजूद 15-20 लिफ्टर और 12-15 मशीनें लंबे समय से खनन कार्य में लगी हुई हैं। एनजीटी के सख्त नियमों के बावजूद प्रशासन की चुप्पी यह संकेत देती है कि कहीं न कहीं इस अवैध कार्य को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।

प्राकृतिक संतुलन को हो रहा नुकसान

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अवैध खनन से नदी का जलस्तर गिर रहा है, जिससे गांव के कुओं और हैंडपंपों का पानी भी सूखता जा रहा है। इसके अलावा, खनन से नदी के जीव-जंतुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन प्रशासन इसे रोकने में पूरी तरह विफल दिख रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

जब मीडिया ने इस मामले में गरौठा के उपजिलाधिकारी अवनीश कुमार तिवारी से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इससे प्रशासन की भूमिका पर और भी अधिक सवाल उठने लगे हैं।

ग्रामीणों की मांग – अवैध खनन पर लगे रोक

ग्रामीणों ने मांग की है कि इस अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, प्रशासन को अपनी निष्क्रियता छोड़कर इस मामले में पारदर्शी जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस तरह अवैध खनन क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा और मानव जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है।

Exit mobile version