यूपी सीएम योगी चाहे लाख कोशिश कर लें भ्रष्टाचार रोकने के लिए, जिसके लिए वे फिर चाहे जीरो टॉलरेंस नीति ही अपनाएं। लेकिन जमीनी हकीकत देखने पर कुछ और ही नजर आता है जहां पर जिम्मेदार खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते दिख रहे हैं।
ऐसे में एक बार फिर दलित ग्रामीणों ने विधायक और सांसद पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिर्फ चुनाव के समय ये आते है लेकिन हम लोगों की बस्ती मे नहीं आते। यदि वे हमारी बस्ती में आते तो क्या हमारी बस्ती का विकास नहीं होता।
सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज तहसील का है मामला
बता दें कि भ्रष्टाचार का यह मामला डुमरियागं तहसील क्षेत्र के तिलगड़िया बुर्जग का है। जहाँ पर नाली से लेकर सड़क और सड़क से लेकर बिजली के पोल तक ग्रामिणों को नसीब नहीं है। यहां बॉस बल्ली के सहारे चलता है। वहीं पर महिलाओं ने बताया कि जब से वे गाँव में आई हैं तब से अभी तक कीचड़ से भरें रास्ते से हमें चलना पड़ता है। हम लोगों के बच्चे गंदगी के कारण बीमार हो जाते है।
वहीं जब समस्याओं के बारे में ग्राम प्रधान से कहते हैं तो आज और कल का वादा करके चलें जातें है और कभी ग्राम सचिव आते भी हैं तो वे हम लोगों को बस अस्वासन देकर चले जाते हैं। उनकी निगाहे इस कीचड़ भरे रास्ते और गंदे पानी पर जरूर पड़ती होगी पर कुछ नहीं करते। ऐसे में हमारी सरकार से यही मांग है की जल्द से जल्द इस कार्य को करा दें। ताकि हम लोगों भी अपनी जिंदगी सुकून से जी सकें।हम लोग भी इंसान है।
वहीं जब ग्राम सचिव से बात किया गया तो सचिव ने बताया की मैंने ग्राम प्रधान को काम करने से नहीं रोका है बस पेमेंट लेट हो गया है कहा है। लेकिन यह एक बात है वास्तविकता इससे अलग है। क्योंकि अगर ग्राम सचिव किसी काम के लिए प्रधान को कहता तो ग्राम प्रधान कैसे काम नहीं करते। बड़ा सवाल यहां पर परिस्थित देख के यह भी है कि कि क्या इन सब की जानकारी खंड विकास अधिकारी को नहीं है और जानकारी है तो प्रधान के ऊपर करवाई क्यों नहीं करते है?